सेना ने ऑनलाइन रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू करने की तैयारी तेज की

नई दिल्ली : भर्ती परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद सेना ने ऑनलाइन रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है। सेना को उम्मीद है कि इसी साल 1 अप्रैल से शुरू हो रहे रिक्रूटमेंट इयर में वह इसे शुरू कर देगी और इससे पेपर लीक के मामले पर काबू पाया जा सकेगा।

सेना के सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में इसे भोपाल, जयपुर और चेन्नै में लागू किया जाएगा। फिर इसका पूरे देश में विस्तार किया जाएगा। नए सिस्टम में पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा। फिर कंप्यूटर आधारित सेंटरों पर लिखित परीक्षा होगी। रजिस्ट्रेशन से नतीजे तक ऑनलाइन सिस्टम का काम आउटसोर्स किया जाएगा। सेना के एक अफसर का कहना है कि भ्रष्टाचार की गुंजाइश वहां होती है, जहां मल्टिपल एजेंसियां हो। हमने गड़बड़ियों की शंका को ध्यान में रखते हुए इसके निवारण पर पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था। पिछले छह-आठ महीने से ऑनलाइन सिस्टम में रिक्रूटमेंट प्रोसेस की तैयारी चल रही है।

सेना की भर्तियों में अव्यवस्था भी पुराना मुद्दा है। सैनिक बनने की चाह में एक जगह जुटे हजारों युवाओं को संभालना मुश्किल हो जाता है। मौजूदा व्यवस्था में प्रतिभागियों को फिजिकल और मेडिकल टेस्ट के बाद लिखित परीक्षा देनी होती है। सेना ने इसे भी बदलने का फैसला किया है। नए सिस्टम में ऑनलाइन लिखित परीक्षा पहले होगी। इसके बाद होने वाले फिजिकल और मेडिकल टेस्ट में कैंडिडेट्स की संख्या कम होगी। लिखित परीक्षा के बाद फिजिकल टेस्ट के लिए वैकेंसी के मुकाबले 7-8 गुना, जबकि मेडिकल टेस्ट के लिए 2.5 गुना कैंडिडेट बुलाए जाएंगे।

ऑनलाइन लिखित परीक्षा पर प्रति कैंडिडेट खर्च करीब 500 रुपये होने का अनुमान है। सूत्रों के मुताबिक इसमें आधा कैंडिडेट से वसूला जाएगा, जबकि आधा खर्च सरकार वहन करेगी। एक आकलन के मुताबिक, सेना में हर साल औसतन 60,000 जवानों को भर्ती किया जा रहा है। मोटे तौर पर 25-30 लाख लोग हर साल 100 से अधिक रैलियों में भाग लेते हैं। प्रत्येक भर्ती रैली के आयोजन पर 10 से 15 लाख रुपये खर्च होते हैं। केवल 6 फीसदी ही मेडिकल टेस्ट पास कर पाते हैं और लिखित परीक्षा में बैठते हैं। अंत में 2.5% की भर्ती होती है।