सेहत अच्छी तो तालीम अच्छी

ये बात सभी जानते हैं कि स्कूल और कालेज में तालीमी साल के दौरान कम से कम एक बार पिकनिक या तफरीह का एहतिमाम ( इंतेज़ाम) ज़रूर किया जाता है । सेहत के इलावा तालीमी नुक़्ता-ए-नज़र से भी ये इक़दाम ( कार्यनिष्पादन) फ़ायदेमंद होता है।

तलबा-ओ- तालिबात (छात्र और छात्राओं) को क्लासरूम की चार दीवारी के माहौल से खुली हवा में ले जाना ना सिर्फ तालीमी मयार पर असरअंदाज़ होता है बल्कि सेहत पर भी इस के मुसबत ( अच्छे) असरात मुरत्तिब होते ( पहुँचाते) हैं । कुछ लोग पिकनिक को तज़ीअ औक़ात भी समझते हैं और कहते हैं कि ग़ैर ज़रूरी थकन से तलबा -ओ- तालिबात पिकनिक के दो दो तीन तीन दिन बाद भी स्कूल नहीं आते जिस से उन का तालीमी नुक़्सान होता है।

अच्छी सेहत ही अच्छी तालीम की ज़ामिन (प्रतिभू) है । अगर तलबा सेहतमन्द रहेंगे तो वो तालीमी मैदान में यक़ीनन बेहतर मुज़ाहरा ( प्रदर्शन) करेंगे । बात सिर्फ पिकनिक तक ही महिदूद ( सीमित) नहीं है ।आम दिनों की पढ़ाई के इलावा जब इम्तेहानात का वक़्त आता है तो तलबा-अक्सर-ओ-बेशतर किसी बाग़ का रुख करते हैं जहां वो इजतिमाई (सामूहिक) तौर पर अपना मुताला जारी रखते हैं ।

अपने साथ ज़रूरी सामान भी ले आते हैं जैसे खाना पानी चाय और साबुन वग़ैरा ।यहां बात क्लासरूम की पढ़ाई के इलावा खुले मुक़ाम पर पढ़ाई की हो रही है । तलबा खुले और क़ुदरती माहौल से बहुत जल्द मानूस (घबराहट दूर ) हो जाते हैं और अपनी पढ़ाई में क्लासरूम से ज़ाइद दिलचस्पी लेते हैं । ये एक सेहत अफ़ज़ा-ए-क़दम कहा जाता है जिस की तक़लीद (पैरवी/ अनुसरण) किए जाने की ज़रूरत है।

सेहत अच्छी तो सब अच्छा जैसा कि अंग्रेज़ी में कहावत है कि Alls well that ends well अंजाम अच्छा तो सब अच्छा । लिहाज़ा सेहत मंद रहे और पढ़ाई पर तवज्जा ( ध्यान) दीजिए ।