सेहत महकमा में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल

झारखंड के सेहत महकमा में करीब सवा माह के अंदर तीन बार तबादले 23 नवंबर, 30 नवंबर और 31 दिसंबर को किये गये। इसमें कई सिविल सजर्न समेत 441 डॉक्टरों का तबादला किया गया। ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए ऐलान मापदंडों की इसमें अनदेखी की गयी। दरख्वास्त की बुनियाद पर महकमा ने ताबड़तोड़ व मन मुताबिक पोस्टिंग की। 30 नवंबर की नोटिफिकेशन (दो दिसंबर को जारी) में कुल 300 लोगों के नाम थे। इनमें से 107 तबादले दरख्वास्त और ज़ाती वजूहात की बुनियाद पर किये गये। वहीं एक ही जिले में 46 लोगों की ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई। ऐसा करना कानूनन गलत है। इसके बाद 31 दिसंबर को भी कुल 165 लोगों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की गयी।

इसमें 30 नवंबर की नोटिफिकेशन में शामिल लोग भी थे। यानी माह भर के अंदर दुबारा तबादला। काम में लापरवाही बरतने के इल्ज़ाम में जिन सिविल सजर्न और डॉक्टरों को हेडक्वार्टर बुलाया गया था, उन्हें बेहतर पोस्टिंग दी गयी। महकमा के जानकारों का कहना है कि तबादले में डॉक्टरों के मुजाहेरे, उनकी मौजूदगी और खिदमत रिकॉर्ड की भी अनदेखी हुई है। साबिक़ सेक्रेटरी के विद्यासागर ने ट्रांसफर-पोस्टिंग से मुतल्लिक़ एक नियम बनायी थी, लेकिन इसे मंजूरी के लिए आज तक कैबिनेट नहीं भेजा जा सका है।

कैसे हुई गड़बड़ी

सेहत महकमा ने 30 नवंबर को कुल 300 डॉक्टरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की थी। इनमें से 107 डॉक्टर को दरख्वास्त की बुनियाद पर बदले गये थे। यानी हुकूमत ने किसी ज़ाती मसायल से मुतल्लिक़ उनके दरख्वास्त की बुनियाद पर उनका तबादला किया था। हुकूमत ने दरख्वास्त की बुनियाद पर तबादला के लिए कोई पॉलिसी नहीं बनायी है। इसलिए 300 में 107 तबादला इसी बुनियाद पर करने से सवाल उठ रहा है। पीएचसी, रामगढ़ (दुमका) में डॉक्टर इंचार्ज रहे डॉ एलबीपी सिंह को दरख्वास्त की बुनियाद पर ही न सिर्फ जमशेदपुर भेजा गया, बल्कि उन्हें वहां का सिविल सजर्न भी बना दिया गया।