सैयदा असफ़ीया तमकीन को एम बी बी एस में सारी रियासत में पहला मक़ाम

हैदराबाद 1 अप्रैल (नईम वजाहत) दीन-ए-इस्लाम में हुसूले इल्म पर बहुत ज़ोर दिया गया। हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जो पहली वही नाज़िल हुई। इस में अल्लाह अज़्ज़ो वजल ने पढ़ने का हुक्म दिया है। आप ने हर मुसलमान मर्द और औरत के लिए इल्म का हासिल करना फ़र्ज़ क़रार दिया है।

ख़ुशनसीब है वो ख़ानदान जो इल्म से मुताल्लिक़ हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की प्यारी हदीस पर ना सिर्फ़ ख़ुद अमल करते हैं बल्कि अपने बच्चों को भी इस पर अमल करवाते हैं।

ऐसा ही एक इल्मी घराना आग़ापूरा में है जहां के बच्चे इल्म और अमल की शम्माएं रोशन किए हुए हैं और आज इस घर को सिर्फ़ और सिर्फ़ इल्म के बाइस अल्लाह अज़्ज़ो वजल ने इज़्ज़त और तौक़ीर, इनाम और इकराम से नवाज़ा है।

आप को बतादें कि आग़ापूरा की रहने वाली एक मुस्लिम तालिबा ने एम बी बी एस में सारी रियासत में टाप करते हुए अपने वालिदैन और मिल्लत का नाम रोशन किया है।
अपनी बेटी की इस अज़ीमुश्शान कामयाबी पर सैयदा असफ़ीया तमकीन की वालिदा सैयदा असरा इशफ़ाक़ और वालिद सैयद इशफ़ाक़ बहुत ख़ुश हैं और बारगाहे रब्बुल इज्ज़त में सजदे शुक्र बजा लारहे हैं।

कामिनैनी मेडीकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल ज़िला नलगुंडा की तालिबा सैयदा असफ़ीया तमकीन ने एमबी बी एस फाईनल इयर में सारी रियासत में अव्वल मक़ाम हासिल किया है।

मिल्लत की इस होनहार बेटी ने मुस्लिम तलबा के नाम अपने पैग़ाम में कहा कि हमारे मज़हब में मायूसी कुफ्र है लिहाज़ा हमें किसी भी हाल में मायूस नहीं होना चाहीए। हर चीज़ का मुक़ाबला बड़े सब्र और इस्तिक़लाल के साथ किया जाना चाहीए, तब ही कामयाबी और कामरानी के लिए राह हमवार होती है।

दबाव में आकर पढ़ना भी बहुत नुक़्सानदेह साबित होता है। इस लिए क्लासेस में जो पढ़ाया जाता है, इस पर ही तवज्जा दें तो बहुत बड़ी कामयाबी हमारा मुक़द्दर बन सकती है। असफ़ीया ने मज़ीद बताया कि वो टी वी सीरियल्स और तफ़रीह से दूर रहती हैं जबकि दावतों में भी बहुत कम जाती हैं।

दूसरी जानिब असफ़ीया की वालिदा मुहतरमा सैयदा असरा इशफ़ाक़ का कहना है कि असफ़ीया की इस कामयाबी पर वो बारगाह रब्बुल इज्ज़त में शुक्र बजा लाती हैं। वो कहती हैं हमारी बेटी पर सारे ख़ानदान को नाज़ है।
उन्हों ने ये भी बताया कि असफ़ीया बहुत मेहनती लड़की है जो बड़ों की इज़्ज़त और छोटों से प्यार करती है।