सैय्यदना उमर फ़ारूक़ (रज़ि०) ने मेहनत से कमाने की तरग़ीब दी

सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० लोगों को मेहनत मज़दूरी करने और हुसूल रिज़्क के लिए तग-ओ-दो करने की तरग़ीब देते थे। मुहम्मद बिन सीरीन रह० अपने वालिद से रिवायत करते हैं कि मग़रिब के इलाक़े में में सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० के साथ था।

मेरे पास सामान की गठरी थी। सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म ने पूछा ये आप के पास क्या है?। मैंने अर्ज़ किया ये सामान की गठरी है, जिसकी मैं बाज़ार में तिजारत करूंगा। सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० ने फ़रमाया कॊरैशियो सीरीन और उन जैसे दीगर हज़रात तिजारत में तुम पर ग़ालिब ना आ जाऐं, क्योंकि तिजारत ख़िलाफ़त और इमारत का तीसरा सतून है।

हज़रत हसन बसरी रह० से रिवायत है कि सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० ने फ़रमाया जो आदमी तीन दफ़ा एक ही जिन्स ( चीज) की तिजारत करे और नफ़ा ना हो तो उसे किसी दूसरी शय की तिजारत करनी चाहीए। आपने मज़ीद फ़रमाया कि कोई ना कोई फ़न ज़रूर सीखा करो, मुम्किन है कि तुम्हें किसी वक़्त उसकी ज़रूरत पेश आ जाए।

आप ने फ़रमाया अगर तिजारत ना होती तो तुम लोगों के दस्त ए नगर होते।

एक दफ़ा सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० बाज़ार तशरीफ़ ले गए तो देखा कि वहां ग़ालिब अक्सरीयत नबतीयों (इराक़ के अजमियों) की है। ये सूरत-ए-हाल देख कर सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० को तकलीफ़ हुई। जब लोग जमा हुए तो आपने इस सूरत-ए-हाल पर अपनी तशवीश का इज़हार किया और तर्क ए तिजारत पर मुस्लिम ज़ामा की सरज़निश की।

लोगों ने कहा अल्लाह तआला ने हमें फ़ुतूहात के ज़रीया तिजारत से बेनियाज़ कर दिया है। सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० ने फ़रमाया अगर तुम इसी तरह (बैठे) रहे तो याद रखो कि तुम्हारे मर्द दूसरे मर्दों के और औरतें दीगर औरतों की मोहताज बन जाएंगी।

सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० मुसलमानों के इन मुमताज़ अफ़राद के बारे में बड़े मुतफ़क्किर हो जाते थे, जो जिहाद में मसरूफ़ ना होने के बावजूद तिजारत से ग़ाफ़िल रहते। आप ऐसे लोगों पर ख़ुसूसी तवज्जा देते थे।