एक दफ़ा अमीर उल मोमिनीन हज़रत सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० ने एक शामी बाशिंदा को, जो बड़ा ताक़तवर और जंगजू रह चुका था, ग़ायब पाया तो इसके बारे में दरयाफ्त फ़रमाया कि वो शामी कहाँ है?। लोगों ने अर्ज़ किया अमीर उल मोमिनीन ! वो तो पक्का शराबी बन चुका है।
हज़रत सैय्यदना फ़ारूक़ ए आज़म रज़ी० ने अपने कातिब को बुलाया और एक मकतूब लिखने का हुक्म दिया। आपने लिखवाया:
उमर बिन ख़त्ताब की जानिब से फ़लां शख़्स की तरफ़ अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुहु
तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं, जिस के सिवा कोई माबूद नहीं।
बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम
ह मीम इस किताब का नुज़ूल अल्लाह की तरफ़ से है, जो निहायत ग़ालिब, ख़ूब जानने वाला है। गुनाह बख्शने वाला और तौबा कुबूल करने वाला है, सख़्त सज़ा (देने) वाला, बड़ा फ़ज़ल वाला है, इसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, उसी की तरफ़ लौट कर जाना है।
अमीर उल मोमिनीन सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० ने इस ख़त को मुकम्मल कराया और अपने इलची ( काशिद) से फ़रमाया ये ख़त उस शख़्स को उस वक़्त देना, जब वो होश में हो। फिर सैय्यदना फ़ारूक़ ए आज़म रज़ी० ने तमाम हाज़िरीन से फ़रमाया कि इस लिए दुआ करो।
जब उस शख़्स के पास हज़रत फ़ारूक़ ए आज़म का ख़त पहुंचा तो वो उसे पढ़ने लगा और कहा मुझ से मेरे रब ने वाअदा फ़रमाया है कि वो मुझे माफ़ फ़रमाएगा और मुझे अपनी सज़ा से डराया है। वो मुसलसल यही अलफ़ाज़ दुहराता रहा, फिर रोने लगा। इसने शराबनोशी से तौबा कर ली।
सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० को जब इसके तौबा करने की ख़बर पहुंची तो आपने फ़रमाया अगर तुम किसी को देखो कि वो सीधे रास्ता से भटक गया है तो इसके लिए इसी तरह दुआ करो और उसे राह ए रास्त पर लाने की कोशिश करो। तफ़सीर क़रतबी में है कि ऐसे शख़्स के ख़िलाफ़ शैतान के मददगार मत बनो।