सैय्यदना उमर फ़ारूक़ ( रज़ी०) के दौर में रिकार्ड रखने की इब्तेदा

हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० फ़रमाते हैं कि में बहरैन से सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० की ख़िदमत में पाँच लाख दिरहम लेकर हाज़िर हुआ। उन्होंने मुझ से वहां के लोगों के हालात दरयाफ्त फ़रमाए। मैंने सारे हालात गोश गुज़ार कर दिए। फिर उन्होंने पूछा क्या लाए हो?। मैंने अर्ज़ किया पाँच लाख दिरहम।

सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी०ने बड़े ताज्जुब से दरयाफ्त किया क्या तुम्हें मालूम है कि तुम क्या कह रहे हो?। मैंने अर्ज़ किया जी हाँ! एक लाख, एक लाख, एक लाख, एक लाख और एक लाख। सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म ने फ़रमाया तुम्हें नींद आ रही है, जाओ सौ जाओ, सुबह के वक़्त मेरे पास आना।

जब सुबह हुई तो मैं सैय्यदना उमर रज़ी० की ख़िदमत में हाज़िर हुआ। उन्होंने फ़रमाया क्या लाए हो?। मैंने अर्ज़ किया पाँच लाख दिरहम लाया हूँ। आप ने फिर फ़रमाया मालूम है तुम क्या कह रहे हो?। मैंने अर्ज़ किया जी हाँ! एक लाख और गिनते गिनते पाँच लाख पूरे कर दिए।

हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० फ़रमाते हैं कि मैं उंगलीयों के साथ शुमार भी करता रहा। सैय्यदना उमर रज़ी० ने दरयाफ़त फ़रमाया क्या ये सब पाकीज़ा माल है?। मैंने अर्ज़ किया मुझे तो बस इसी चीज़ का इल्म है, जो मैंने अर्ज़ कर दिया।

इसके बाद सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० मिंबर पर तशरीफ़ फ़र्मा हुए, अल्लाह की हम्द‍ ओ‍ सना बयान की, फिर फ़रमाया ऐ लोगो! हमारे पास बहुत ज़्यादा माल आया है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है तुम जैसे चाहो नाप कर या गिनती के हिसाब से तुम में तक़सीम कर दूं। इसी दौरान एक शख़्स खड़ा हुआ और इस ने अर्ज़ किया या अमीरूल मोमिनीन ! मैंने अजमी लोगों को देखा है कि वो अम्वाल का रिकार्ड रखते हैं। उस शख़्स की बात सुन कर सैय्यदना फ़ारूक़ आज़म रज़ी० भी रिकार्ड रखने के लिए तैय्यार हो गए।