हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले में सिर्फ हाथी-घोड़ो का ही जलवा नहीं, विदेशी नस्ल के कुत्तों की भी छटा निराली है। कुछ कुत्ते काफी मासूम तो तो कुछ ऐसे कि उन्हें देखते ही डर से पसीने छूटने लगते हैं। कीमत और क़िस्म की नज़रिये से इस बार कुत्तों का बाजार लाजवाब है। गुजिशता छह दिनों में दो सौ से ज़्यादा छोटे-बड़े कुत्ते बिक चुके हैं। अबतक सबसे ज्यादा पटना, वैशाली मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बेतिया, छपरा, बलिया, कोलकाता, रांची वगैरह के लोगों ने इनकी खरीदारी की है।
बाइरून नस्ल के कुत्तों की चकाचौंध में देसी कुत्ते गुम हो गए लगते हैं। कारोबारी कहते हैं, देसी की मांग नहीं होती। मेले में चिड़िया बाजार के नाम से मशहूर इलाक़े में कुत्तों का बाजार सजा है। सोनपुर के रामजी सिंह की जमीन पर पटना सिटी के अलावा रांची, वाराणसी वगैरह जगहों के कुत्तों के कारोबारियों के एक दर्जन से ज़्यादा अलग-अलग स्टाल लगे हैं।
हर साल ये कारोबारी आते हैं और एक माह यहां ठहरकर गाहकों की पसंद के कुत्ते दस्तयाब कराते हैं। अबतक सबसे ज्यादा सफ़ेद रंग के पामेडियन कुत्तों की बिक्री हुई है जिनकी कीमत चार से छह हजार रुपए तक है। बाजार में कुत्तों की कीमत को लेकर मोलभाव चलता है और बाद में कारोबारी और गाहक एक कीमत पर आकर सौदा मंजूर कर लेते हैं । यही इस बाजार में कीमत मुकर्रर का फार्मूला है।
मेले में सेंट बरनाल कुत्ते की कीमत अभी तक सबसे ऊंची पहुंची है। लगभग साढ़े तीन फुट लंबे इस कुत्ते का मुंह काला है। इसकी कीमत 50 हजार रुपए मांगी जा रही है। दो-तीन अबतक बिके हैं। लंबे मुंह वाले गोल्डेन लिटिवर की बिक्री ज्यादा हो रही है। पटना के गुड्डू के अलावा दीगर स्टालों पर आठ से दस हजार में से ये कुत्ते बिक रहे हैं। पटना के ही बिहारी जी के स्टाल पर गोलमिस्टिक कुत्ते की कीमत तीस हजार रुपए बतायी जा रही है। ग्रेडियन कुत्तों का अपना खास जलवा है।
इनके बड़े आकार के मुंह के दोनों ओर बड़े-बड़े काले घेरे हैं जिसकी वजह से ये काफी डरावने दिखते हैं। गाहक को देखते ही भूंकने लगते हैं। कई कुत्ते तो ऐसे हैं जो भूंकना शुरू करते हैं तो दम भी नहीं लेते। पूंछकटा डोबरमैन 12 से 14 हजार में बिक रहा है। सफ़ेद रंग पर बिंदी के आकार के छोटे-छोटे काले धब्बों वाला डालमिशियन देखने में काफी खूबसूरत है।
मालदारों की मिल्कियत हैं बड़े कुत्ते
मेले में अबतक जितने भी बाइरून मुल्क नस्ल के कुत्ते बिके हैं, उन सबके खरीदार हाकिम-हुक्काम, बड़े ठेकेदार, कारोबारी, लीडर और शौकिया घरानों के लोग हैं। महंगी कारों पर आते और खरीदकर उसी से ले जाते हैं। कुछ लोगों ने हाकिमों को गिफ्ट करने के लिए भी खरीदे। मिडिल तबके के लोग ज्यादातर पामेडियन नस्ल के कुत्ते खरीद रहे हैं। दूसरे रियासतों में रह रहे अपने अहले खाना के लिए भी कुत्ते की खरीदारी इसी मेले में हो रही है। मेले में खरीदारों और नाजरीन का तांता लगा है।
कितने में बिक रहे किस नस्ल के कुत्ते
सेट बरनाल- 45 से 50 हजार
गोल्डमिस्टिक- 28 से 30 हजार
बाक्सर- 15 से 18 हजार
गोल्डेन लिटिवर- 10 हजार
जर्मन शेफार्ड- 12 हजार
डोबरमैन- 12 से 14 हजार
लेब्रा- 16 हजार
डालमिशियन- 16 हजार
पामोडियन- 4 से 6 हजार