सोनीया और ममता के जारिहाना तेवर

नई दिल्ली कोलकता, २० सितंबर (पी टी आई) यू पी ए हुकूमत की ताईद से तृणमूल कांग्रेस की दसतबरदारी ( हट जाने ) के लिए गुज़शता रोज़ ममता बनर्जी की तरफ़ से किए गए ऐलान के बाद दोनों फ़रीक़ों यू पी ए हुकूमत और तृणमूल कांग्रेस ने आज एक मौक़िफ़ मज़ीद मुस्तहकम कर लिया है, जहां दोनों के मौक़िफ़ में नरमी के कोई आसार नज़र नहीं आते।

ऐसा मालूम होता है कि यू पी ए की ज़ेर-ए-क़ियादत (Leadership/नेतृत्व) मख़लूत हुकूमत को अपनी अक्सरीयत (बहुमत) पर पूरा भरोसा है। अपने 22 अरकान-ए-पार्लीमेंट के साथ यू पी ए हुकूमत की बाहर से ताईद ( समर्थन) करने वाली एक कलीदी जमात समाजवादी पार्टी लोक सभा में ताक़त आज़माई के सवाल पर उलझन-ओ-सनसनी को बदस्तूर बरक़रार रखी हुई है।

तृणमूल कांग्रेस अपने 19 अरकान-ए-पार्लीमेंट के साथ यू पी ए में शामिल दूसरी सब से बड़ी जमात है जो रीटेल शोबा ( Retail Sector)में रास्त बैरूनी सरमाया कारी (एफडी आई) की इजाज़त के फ़ैसला से दसतबरदारी (हट जाने) डीज़ल की क़ीमत में पाँच रुपय के इज़ाफ़ा को तीन या चार रुपय तक घटाने और एल पी जी सरबराही पर रियायत को 24 सिलेंडर सालाना करने का मुतालिबा करते हुए यू पी ए हुकूमत की ताईद से मुकम्मल दसतबरदारी इख़तियार कर लेने का फ़ैसला की है।

उतर तृणमूल कांग्रेस अपने फ़ैसला पर अटल रहती है तो यू पी ए अरकान की तादाद 254 तक घट जाएगी। इस तरह अक्सरीयत ( बहुमत) के लिए 19 अरकान की कमी महसूस होगी। ताहम ( फिर भी) एस पी, बी एस पी, जे डी (एस) और आर जे डी जैसी जमातों की मदद से जो हुकूमत के बाहर रहते हैं, इस की ताईद ( समर्थन) कर रही हैं 45 रुकन ऐवान में यू पी ए हुकूमत की 300 अरकान की ताईद हासिल रहेगी।

बहरीन जैसी सूरत-ए-हाल से गुज़रने वाले वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह आज कांग्रेस की सदर सोनीया गांधी और अपनी पार्टी के दीगर सीनीयर क़ाइदीन ( अन्य उच्च श्रेणी के लीडर) से मुलाक़ात-ओ-बातचीत की, जिस से ब ज़ाहिर ये पैग़ाम मिला है कि मर्कज़ी हुकूमत, अहम इक़तिसादी इस्लाहात ( माली हालात) को वापस लेने के मूड में नहीं है।

वज़ीर फायनेन्स पी चिदम़्बरम ने मीडीया से मुताल्लिक़ वुज़रा ( मंत्रीयो) के ग्रुप के इजलास ( meeting) के बाद अख़बारी नुमाइंदों ( पत्र्कारो) से बातचीत के दौरान सवाल किया कि मुझे पता नहीं क्यों आप लोग सिर्फ एक लफ़्ज़ (इस्लाहात से) दसतबरदारी ( हट जाने) पर लटके हुए हैं।

ये तमाम फ़ैसले इंतिहाई मुहतात अंदाज़ में ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बाद ही किए गए हैं और वो (फ़ैसले) ब दस्तूर बरक़रार रहेंगे। ये इशारा देते हुए कि मर्कज़ी हुकूमत अपने फ़ैसले वापस लेने के मूड में नहीं है। मिस्टर चिदम़्बरम ने कहाकि अगर तृणमूल के वुज़रा हम से बातचीत करना चाहते हैं तो हम उन्हें इन तमाम हालात से तफ़सीली तौर पर वाक़िफ़ करवाएंगे जिन के नतीजा में हुकूमत को ये फ़ैसला करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

दूसरी तरफ़ ममता बनर्जी भी अपने मुतालिबात पर अटल हैं। उन्होंने मज़ीद सख़्त मौक़िफ़ (निश्चय) इख़तियार करते हुए आज कहा कि इन मसाइल ( समस्याओं) पर कोई समझौता नहीं होगा और हमारे वुज़रा ( मंत्रीगण) इस्तीफ़े पेश कर देंगे।