साबिक़ सदर जमहूरीया ( पूर्व राष्ट्रपती) डाक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने उन की किताब पर जारी तनाज़ा (विवाद) को मुस्तर्द ( रद्द) करते हुए कहा कि 2004 इंतिख़ाबात ( चुनाव) में कांग्रेस सबसे बड़ी जमात के तौर पर उभरी थी और इस वक़्त सोनीया गांधी दस्तूरी तौर पर वज़ीर-ए-आज़म ( प्रधान मंत्री) मुक़र्रर किए जाने की अहल ( लायक/ योग्य) थीं।
उन्होंने कहा कि किताब में वो पहले ही ये बात दर्ज कर चुके हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने वाज़िह ( स्पष्ट) कर दिया था कि सोनीया गांधी हिंदूस्तानी शहरी हैं। चुनांचे दस्तूर की मुनासबत (अनुकूलता) से अगर अक्सरीयती जमात ये चाहती कि सोनीया गांधी को वज़ीर-ए-आज़म बनाया जाये तो इस में कोई क़बाहत नहीं थी लेकिन सोनीया गांधी ने ऐसा नहीं किया और उन्होंने मनमोहन सिंह का नाम पेश किया।
चुनांचे (इसलिये) उन के ज़हन में इस वक़्त ऐसा कोई तनाज़ा नहीं था। उन्होंने अपनी किताब में किए गए रीमार्क पर तनाज़ा के पस मंज़र (दृष्य) में ये बात कही।