सोने की स्मगलिंग की बजाये क़ानूनी तरीका-ए-कार बेहतर

सोने की स्मगलिंग के वाक़ियात में हालिया अर्सा के दौरान काफ़ी इज़ाफ़ा देखा गया है। हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ख़लीज से आने वाले मुसाफ़िरीन खास्कर इस में शामिल रहे हैं चुनांचे कस्टमज़ ओहदेदारों ने साल 2014-15के दौरान तक़रीबन 32करोड़ रुपये मालियती 127.67 किलो सोना ज़बत किया है।

आम तौर पर बेरोज़गार नौजवान और ख़वातीन सोने की स्मगलिंग के मुआमले में धोके का शिकार होते हैं। ये भी तास्सुर पाया जाता हैके कस्टमज़ से बच कर ज़्यादा से ज़्यादा सोना मुल्क लाया जा सकता है लेकिन जब वो कस्टमज़ ओहदेदारों के नरग़ा में होते हैं तो फिर सारी मेहनत बरबाद होजाती है। एसे में अवाम मेहनत से सोना ख़रीदने वालों के लिए ज़रूरी हैके वो क़ानूनी रास्ता इख़तियार करें और मुक़र्ररा कस्टमज़ फ़ीस अदा करते हुए अपना सफ़र महफ़ूज़ बनाईं और इस के साथ साथ लाई जाने वाली क़ीमती अशीया का भी तहफ़्फ़ुज़ यक़ीनी बनाईं।

महिकमा कस्टमज़ की तरफ से बैन-उल-अक़वामी सफ़र करने वालों के लिए वाज़िह रहनुमायाना हिदायात पाई जाती हैं। अगर उन पर बेहतर अमल किया जाये तो मुसाफ़िरीन को किसी तरह की कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी। आम तौर पर एयरपोर्ट पर बाज़ लोग पार्सल वग़ैरा मुसाफ़िरीन के हवाले करते हैं हालाँकि ये एक मुश्किलकाम होता है।