हिंदुस्तान में कानूनी मरतबा में अथॉरिटी माने जाने वाले अटॉर्नी जनरल रह चुके सोली सोराबजी ने दहशतगर्दी के इल्जाम में अफजल गुरु की फांसी को लेकर चल रही बहस में देशद्रोह का कानूनी मतलब समझाया है।
उन्होंने कहा, अगर कोई इत्मिनान नहीं है तो उसका मुंह बंद करना गलत है लेकिन हिंसा को उकसावा देना राजद्रोह के अंतर्गत आता है। राजद्रोह एक गंभीर अपराध है, अगर हिंसा को उकसाने का मामला इसमें शामिल हो। हुकूमत की बुराई करना राजद्रोह नहीं है। अफजल गुरु की फांसी को गलत कहना गलत नहीं है।
अगर कोई ऐसा कहता है कि अफजल गुरु की फांसी गलत थी तो यह राजद्रोह नहीं है। लेकिन अगर कोई कहता है कि अफजल गुरु के साथ जो कुछ हुआ, वे इसका बदला लेंगे तो यह राजद्रोह है।
पटियाला हाउस कोर्ट में वकीलों द्वारा पत्रकारों की कथित पिटाई पर सोराबजी ने कहा, ‘यह बेहद शर्मनाक है कि वकील पत्रकारों को पीट रहे थे।