सोशल मीडिया: गांव में अब कोई मुस्लिम नही , फिर भी हिंदुओं ने उनकी ईदगाह और ताजियों को संजोये रखा है

जिन शिवसैनिकों ने नवाजुद्दीन को रामलीला करने से रोका है, वैसे चिरकुट राष्ट्रभक्त, देशद्रोही राष्ट्रवादियों को हमारे गांव और नाना गांव भेजिए. मोहर्रम आनेवाला है. दशहरा के बाद ही है. गांव में कुल जमा आधे दर्जन घर मुसलमान है लेकिन कितने तजिया निकलते हैं गांव से.पाखंडी राष्ट्रभक्तों को जरूर देखना चाहिए.

हमारे गांव में चलन है कि हिंदू परिवार देवी—दुर्गा को दुहाई देने के साथ ही तजिया निकालने की मन्नत मानते हैं. आधे दर्जन घर मुसलमानों वाले गांव से जो तजिया निकलता है उसमें सैकड़ों लोग शामिल होते हैं और पीढ़ियों से सासाराम में बड़ी तजिया हमारे गांव की ही रही है. चिरकुट राष्ट्रभक्तों को गया के पास हमारे ननिहाल में भेजिए.

वहां एक घर भर मुसलमान नहीं हैं. अरसे पहले मुसलमान रहते थे. चले गये. कोई नहीं बचा. आसपास के गांव में भी मुसलमान नहीं है कहीं लेकिन वहां गांव में हिंदुओं ने ईदगाह बना दिये हैं. बिन मुसलमानों के हर साल मोहर्रम मनता है. सिर्फ इस याद में कि कभी यहां मुसलमान रहते थे, जो रहते थे वे नेक लोग थे, वे यहां ईदगाह बनाये थे.वे नहीं हैं अब तो क्या हुआ,

उनकी रवायत, उनकी परंपरा, उनकी पूजा जिंदा रहनी चाहिए. ऐसे ही गांव और ननिहाल में पैदा होने, रहने का असर रहा है कि बड़े से बड़े राष्ट्रभक्त, हजार तर्क और तथ्य कभी उन्मादी—राष्ट्रवादी हिंदू नहीं बना सकता.ऐसे क्युटियापा करनेवाले राष्ट्रभक्त शिवसैनिकों को देखिए तो उनकी ओर देखते हुए मुंह में खखार भरकर जमीन पर थूकिए ताकि उन्हें लगे वह थूक उनके नाम पर ही है, बहिष्कार कीजिए.

(ये पोस्ट फेसबुक में तहलका के पत्रकार निराला ने लिखी है)