सोहराबुद्दीन अगर जिंदा रहता तो मोदी की हत्या कर सकता था: डीजी वंजारा

सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार (21 दिसंबर) को सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसी प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में स्पेशल सीबीआई जज ने अपने आदेश में कहा कि सभी गवाह और सबूत साजिश और हत्या को साबित करने के लिए काफी नहीं थे। कोर्ट का कहना है कि सबूतों की कमी की वजह से आरोपियों को मामले से रिहा किया जाता है। इस मामले पर डीजी वंजारा ने बयान दिया है।

सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस के मुख्य आरोपी और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा ने कहा कि अगर उस वक्त गुजरात एटीएस सोहराबुद्दीन को नहीं मारती तो वह नरेंद्र मोदी की हत्या कर सकते थे। उन्होंने गुजरात में कहा, ‘अगर गुजरात एटीएस ने सोहराबुद्दीन शेख को नहीं मारा होता को वह 2005 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की हत्या कर देते।’

उन्होंने कहा, ‘आज यह साबित हो गया कि मैं और मेरी टीम सही थी। हम सच के साथ खड़े थे।’ इससे पहले सितंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश के चर्चित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया था।

बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन, गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्त कर दिया था।

डीजी वंजारा ने कहा, ‘कुछ राजनीतिक कारणों से मैंने 9 साल जेल में बिताए, लेकिन आज सच सबके सामने आ गया है।’ इस मामले में सीबीआई कोर्ट में गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों अभय चूड़ास्मा, पीसी पांडे, राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, गुजरात के पूर्व गृहमंत्री और अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी गीता जौहरी को भी बरी कर दिया है।

बता दें कि इस मामले के आरोपियों में 21 गुजरात और राजस्थान पुलिस के कनिष्ठ स्तर के कर्मी हैं। 22वां आरोपी गुजरात के फार्म हाउस का मालिक है, जहां कथित रूप से हत्या किए जाने से पहले शेख और कौसर बी को अवैध हिरासत में रखा गया था।

सीबीआई ने कहा था कि कथित गैंगस्टर शेख, कौसर बी और प्रजापति का गुजरात पुलिस ने 22-23 नवंबर की दरमियानी रात को एक बस से अपहरण कर लिया था। वे लोग महाराष्ट्र के सांगली से हैदराबाद जा रहे थे।

सीबीआई ने कहा था कि 26 नवंबर, 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में शेख की हत्या कर दी गई थी, जबकि उसकी पत्नी की तीन दिन बाद हत्या कर उसका शव ठिकाने लगा दिया गया था। कहा था कि उसके एक साल बाद गुजरात-राजस्थान सीमा पर 27 दिसंबर, 2006 को प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी।