सोहराबुद्दीन शेख के भाई ने कोर्ट में कहा- मैंने कभी नहीं लिया अमित शाह का नाम

सोहराबुद्दीन शेख के भाई नयाबुद्दीन शेख ने सीबीआई की एक विशेष अदालत से यहां कहा कि कथित फर्जी मुठभेड़ मामले से जुड़े बयान में उन्होंने कभी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह या पुलिस अधिकारी अभय चुडासमा का नाम नहीं लिया था.सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में कई समन जारी किए जाने के बाद अदालत में पेश हुए नयाबुद्दीन ने सीबीआई जज एस. जे. शर्मा की अदालत में सोमवार को यह बयान दिया.सीबीआई के मुताबिक नयाबुद्दीन ने जांच एजेंसी को बताया था कि शाह और चुडासमा ने सोहराबुद्दीन मामले में उसे धमकी दी थी.

एक सवाल के जवाब में सोमवार को नयाबुद्दीन ने साफ इनकार किया कि उसने 2010 में सीबीआई से कहा था कि शाह और चुडासमा ने उसे धमकी दी.उसने अदालत से कहा, ‘‘मैंने इन दोनों का कभी नाम नहीं लिया.’ मुठभेड़ के समय शाह गुजरात के गृहमंत्री थे. निचली अदालत ने शाह को इस मामले में बरी कर दिया है.

गौरतलब है कि हाल ही में सोहराबुद्दीन एनकांउटर मामले में सीनियर पुलिस अफसरों को बड़ी राहत मिली है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने संदिग्ध माफिया सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी और सहयोगी के मुठभेड़ मामले में गुजरात के पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा और चार अन्य पुलिस अधिकारियों को आरोपमुक्त करने का निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा. ये सभी पुलिस अधिकारी गुजरात और राजस्थान से थे.इन पुलिस अधिकारियों को आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पांच पुनरीक्षण याचिकाओं को हाईकोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया कि इसमें कोई दम नहीं है.

न्यायमूर्ति एएम बदर ने गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी विपुल अग्रवाल को राहत देते हुए साल 2005-2006 में सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपमुक्त करने का उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया. इस मामले में अब तक आरोप मुक्त हुए अधिकारियों में वंजारा के अलावा गुजरात पुलिस से राजकुमार पांडियन, एन के अमीन एवं अग्रवाल और राजस्थान पुलिस से दिनेश एम एन एवं दलपत सिंह राठौड़ शामिल हैं.

रुबाबुद्दीन ने दिनेश, पांडियन और वंजारा को आरोप मुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. अमीन और राठौड़ को आरोप मुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली शेष दो पुनरीक्षण याचिकाएं सीबीआई ने दायर की थी. हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों पर गौर किया.बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकीलों महेश जेठमलानी, शिरीष गुप्ते, राजा ठाकरे एवं निरंजन मुंदर्गी ने दावा किया कि सीबीआई ने सबूत गढ़े और मामले से मेल खाते मनगढ़ंत तथ्य रखे. उन्होंने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष की एजेंसियां मामले से संबद्ध अधिकतर अधिकारियों पर आरोप लगाने से पहले पूर्ववर्ती सरकार से मंजूरी लेने में भी नाकाम रहीं.