सौदा जमीन का, कीमत जान की

झटके में करोड़पति बनने की चाहत ने जमीन कारोबारियों और बिल्डर के दरमियान खून-खराबा की यह वाकिया नयी नहीं है। सौदा जमीन का , कीमत जान की। कुछ इसी फंडा पर रियल स्टेट का ताज़ीर चल रहा है। कारोबार में शामिल ब्रोकर, ज़मीन दलाल और खरीदार की तिकड़ी के दरमियान कब कहां किस जगह मौत का खेल हो जायेगा, यह कहना मुश्किल है। पुलिस के अदाद बताते हैं कि कत्ल के ज़्यादातर वजह ज़मीन तनाजे से जुड़े होते हैं। हालात यह है कुछ लोग गैरमजरूआ, खास महल की जमीन पर कब्जा जमाने और बेचने तक में गुरेज नहीं करते हैं।

हाल के दिनों में नयी बात यह सामने आ रही है कि जमीन तनाजे से जुड़े मामलों में पुलिस उन मामलात के कारकरदगी के लिए काबिल अदालत में भेजने के बजाय खास सख्स के असरात में उस जुर्म की दफा खास कर लूट, रंगदारी जोड़ सनाह दर्ज कर लेती है। इस वजह से ज़मीन तनाज़ा का मामला सुलझने के बजाय और भी उलझ जाता है। थाने में हर दिन इस तरह के मामले दर्ज किये जाते हैं।

18 जनवरी , 2012 को बहादुरपुर के न्यू अजीमाबाद कॉलोनी में हुई प्रोपर्टी डीलर मोहम्मद राजू खान की कत्ल हुई। इससे पहले दो नवंबर 2011 को खाजेकलां थाना इलाक़े में प्रोपर्टी डीलर और कांग्रेसी लीडर नोमानुल हक अंसारी और हॉस्टल के मालिक संतोष कुमार मेहता की कत्ल जमीन तनाज़ा में हुई। बाइपास थाना इलाक़े में शिव शंकर महतो, आलमगंज में बजरंगपुरी के पास राकेश कुमार की क़त्ल जमीन के तनाज़ा में हुई। क़त्ल के अदाद और भी लंबे हैं। अगमकुआं थाना इलाक़े में जून माह में बिल्डर शैलेश कुमार सिंह की क़त्ल और बौधा गोप पर जानलेवा हमले की कड़ी भी जमीन तनाज़ा से ही मुंसलिक था। हद तो यह है कि जमीन तनाज़ा में गिजिशता महीने बाइपास थाना पुलिस ने मनोज कुमार को जेल भेजा था। उस पर ज़मीन तनाज़ा में वाल्दा की क़त्ल की साजिश किये जाने का इल्ज़ाम था। बेटा ने वाल्दा की क़त्ल के लिए सुपारी मुजरिमों को दी थी। गोलीबारी की वाकिया में वाल्दा सत्यभामा देवी जख्मी हुई थी।

= शुक्रिया प्रभात खबर=