स्टिंग सीडी केस : सीबीआई ने उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत को भेजा समन

नई दिल्ली : एक कथित स्टिंग ऑपरेशन की जांच के सिलसिले में सीबीआई ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से को 26 दिसंबर को उसके सामने पेश होने को कहा है | पिछल सात महीने में रावत को सीबीआई ने दूसरी बार बुलाया है | इससे पहले रावत 24 मई को सीबीआई के सामने पेश हुए थे और करीब पांच घंटे तक उनसे पूछताछ की गयी थी|

कथित स्टिंग ऑपरेशन के सिलसिले में सीबीआई ने 29 अप्रैल के इस मामले में प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज कर थी| पीई पहला चरण है जब जांच एजेंसी उसे मिली शिकायत में तथ्यों का सत्यापन करती है|  पीई के दौरान एजेंसी सामान्य तौर पर व्यक्ति को जांच से जुड़ने का अनुरोध भर करती है| न तो व्यक्ति को  तलब करती है , न गिरफ़्तार करती है और न तलाशी करती है | यदि तथ्यों के सत्यापन में और जांच की जरूरत होने पर प्राथमिकी दर्ज कर सकती है या फिर पीई को बंद कर सकती है|
रावत इस स्टिंग में उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण में अपे पक्ष में समर्थन के लिए कांग्रेस के बागी विधायकों को रिश्वत की पेशकश करते हुए दिख रहे हैं | सीबीआई ने पीई की अपनी जांच के सिलसिले में वर्तमान मुख्यमंत्री को बुलाया है ये एक अनोखा मामला है |

कथित स्टिंग ऑपरेशन में  सीबीआई की जांच रावत के दावे के अलावा एक खबरिया चैनल के मालिक के साथ उनके संबंधों केन्द्रित है | इसके अलावा  उनके द्वारा बागी विधायकों एवं उनके पिछले मंत्रिमंडल में एक मंत्री को दी गयी रिश्वत की कथित पेशकश पर केंद्रित है|

सूत्रों के मुताबिक़ रावत ने कई मद्दों पर पूरी जानकारी नहीं दी थी इसलिए उन्हें बुलाया गया है |  यह मामला भाजपा नीत केंद्र सरकार की बाद की अधिसूचना  और राज्य सरकार से (राष्ट्रपति शासन के दौरान) मिले रिफरेंस के आधार पर दर्ज किया गया|  रावत ने बागी विधायकों द्वारा वीडियो जारी किये जाने के बाद पहले तो आरोपों से इनकार करते हुए इस वीडियो को फर्जी करार दिया|  लेकिन बाद में स्टिंग ऑपरेशन के कैमरे में वही हैं इसको माना है |

सदन में शक्तिपरीक्षण में रावत की जीत हुई थी | इसके बाद राज्य स्टिंग की सीबीआई जांच की सिफारिश संबंधी अधिसूचना मंत्रिमंडल ने 15 मई को बैठक कर वापस ले ली थी|  उसके बजाय मंत्रिमंडल ने इसकी जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन का फैसला किया था क्योंकि यह राज्य का विषय है|  सीबीआई ने कहा था कि कानूनी राय लेने के बाद (राज्य सरकार की) अधिसूचना खारिज कर दी गयी क्योंकि उसे वापस लेने का कोई आधार नहीं है तथा यह कानून सम्मत है| उत्तराखंड उच्च न्यायालय से भी मुख्यमंत्री को कोई राहत नहीं मिली थी|  स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच को उत्तराखंड उच्च नयायालय ने खारिज करने से इनकार कर दिया था|