स्टेट आरकाईयोज़ से नायाब दस्तावेज़ात की सालार जंग म्यूज़ीयम मुंतक़ली

गुज़शता तीन बरसों की कोशिशों के बाद म्यूज़ीयम अपने मक़सद में कामयाब

हैदराबाद । 23 अक्टूबर (सियासत न्यूज़) सालार जंग म्यूज़ीयम में आने वाले मुशाहिदीन और तहक़ीक़ कुनुन्दिगान म्यूज़ीयम के ओहदेदारान से जब नादिर अशीया की इबतिदाई कैफ़यात और बाअज़ नायाब नमूनों की क़ीमत के बारे में सवाल करते हैं, तो ओहदेदार उन के जवाब देने से क़ासिर रहते हैं, लेकिन अब बहुत जल्द उन के सवालात के जवाबात उन्हें मिलेंगी। सालार जंग म्यूज़ीयम काफ़ी तग-ओ-दौ के बाद सालार जंग स्टेट के मुताल्लिक़ात और दस्तावेज़ात को रियासत के स्टेट आरकाईयोज़ ऐंड रिसर्च इंस्टीटियूट तारना कि से हासिल करने में कामयाब होगया है और म्यूज़ीयम ने ये फ़ैसला किया है का उसे म्यूज़ीयम की तहवील में ले लिया जाएगा। 1949ए- में सालार जंग सोम मीर यूसुफ़ अली ख़ान के इंतिक़ाल के बाद ये मसला पैदा होगया था कि हज़ारों की तादाद में मुंतख़ब नायाब फ़न पारों की हिफ़ाज़त कैसे की जाय कहीं ये नादिर फ़न पारे ग़लत हाथों में जाकर बर्बाद ना होजाएं, लेकिन इस वक़्त के मिल्ट्री एडमनसटरीटीव जनरल जे एन चौधरी ने निज़ाम मीर उसमान अली ख़ान के ज़रीया तफ़वीज़ किए गए इख़्तयारात को बरुए कार लाकर एक आर्डर पास किया। ये आर्डर 16 डसमबर 1951-ए-को एक ग़ैरमामूली गज़्ट मैं शाय हुआ, जिस में सालार जंग कुलक्षण को स्टेट कमेटी के हवाले करने की बात कही गई थी। इस कमेटी की तशकील ही इसी मक़सद के लिए की गई थी। ये कुलक्षण उस वक़्त म्यूज़ीयम में रखा गया जो कमेटी के ज़ेर-ए-एहतिमाम काम कररहा था और इस के सरबराह के तौर पर मह्दी नवाज़ जंग 10 सालों तक ख़िदमात अंजाम देते रहे। 1962 मैं हकूमत-ए-हिन्द ने पार्लीमैंट के एक ऐक्ट के ज़रीये सालार जंग म्यूज़ीयम और लाइब्रेरी को क़ौमी विरसा क़रार दिया और उसे अपनी तहवील में ले लिया। मैनिजमंट का मर्कज़ में ट्रांसफ़र अमल में आ गया। रियास्ती हुकूमत उस वक़्त यानी 1976 में सरगर्म हुई जब इस ने सालार जंग म्यूज़ीयम मैनिजमंट को मकतूब लिखा जिस में दस्तावेज़ात को अपनी तहवील में लेने की बात कही म्यूज़ीयम ने हुकूमत की इस हिदायत पर रजामंदी ज़ाहिर करदी और म्यूज़ीयम ने इन दस्तावेज़ात को स्टेट आरकाईयोज़ रिसर्च इंस्टीटियूट के हवाले करदिया, लेकिन सालार जंग म्यूज़ीयम बोर्ड ने हुकूमत के इस फ़ैसले पर रजामंदी ज़ाहिर नहीं की। इस मुआमले में 1976-ए-से मुतअद्दिद बार ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया गया लेकिन इस का कोई ख़ातिरख़ाह नतीजा नहीं बरामद होसका। तीन साल क़बल एक क़रारदाद पास की गई जिस में रियास्ती हुकूमत से दरख़ास्त की गई थी कि म्यूज़ीयम की मिल्कियत वापिस की जाई। बिलआख़िर हुकूमत इस बात पर राज़ी होगई कि वो इन दस्तावेज़ात को म्यूज़ीयम के सपुर्द करदी। अब इस सिलसिले में उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेज़ी ज़बानों के माहिरीन की तक़र्रुरी अमल में लाई जाएगी ताकि वो इन दस्तावेज़ात को पढ़ सकें और इस की तर्तीब-ओ-तदवीन अमल में য৒ब लाएंगे। साथ ही उस की कटीलाग साज़ी की जा सकी। सालार जंग म्यूज़ीयम के डायरैक्टर डाक्टर ए नागेंद्र रेड्डी ने बताया कि कैटलाग साज़ी और दस्तावेज़ात की तदवीन-ओ-तर्तीब का काम स्टेट आरकाईयोज़ ऐंड रिसर्च इंस्टीटियूट में ही अमल में लाया जाएगा।