स्पेक्ट्रम नीलामी में रिलायंस जियो ने सबको चौंकाया, बोली के लिए जमा कराए 6,500 करोड़

नीलामी को लेकर जियो के रवैये से इंडस्ट्री हैरान है क्योंकि सबका अनुमान था कि कंपनी इस बार जियो बहुत आक्रमक बोली नहीं लगाकर सिर्फ कवरेज गैप को भरेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हालिया नीलामी में जियो पर्याप्त क्षमता हासिल कर चुका है। साथ ही उसने रिलायंस कम्यूनिकेशंस के साथ भी शेयर और ट्रेडिंग पैक्ट किया है। एक टॉप एग्जिक्युटिव ने कहा, ‘हम जियो का डिपॉजिट देखकर हैरान हैं

रिलायंस जियो इन्फोकॉम स्पेक्ट्रम की बोली लगाने में आक्रामक रुख अख्तियार करने वाला है। इतना आक्रामक कि प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के अनुमान को भी पार कर जाए। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जियो ने बयाने के रूप में करीब 6,500 करोड़ रुपये जमा करवा दिए। यह राशि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया, टॉप तीनों कंपनियों द्वारा जमा की गई राशि के लगभग बराबर है। यानी, 1 अक्टूबर से शुरू हो रहे स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रति मुकेश अंबानी के मालिकाना हक वाली कंपनी का इरादा आक्रमक है।
नीलामी प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि भारती एयरटेल ने करीब 1,980 करोड़ रुपये, वोडाफोन इंडिया ने करीब 2,745 करोड़ रुपये और आइडिया सेल्युलर ने करीब 2,050 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। उन्होंने बताया कि टाटा टेलिसर्विसेज ने भी 1,000 करोड़ रुपये जमा कराए हैं जबकि रिलायंस कम्यूनिकेशंस और एयरसेल ने क्रमशः 313 करोड़ और 120 करोड़ रुपये जमा कराए हैं।

एक सीनियर अधिकारी ने ईटी से कहा, ‘बयाने की रकम के सामान्य आकलन से पता चलता है कि सरकार को सिर्फ रिजर्व प्राइस पर एयरवेव्स की बिक्री से 1.5 लाख करोड़ की कमाई हो सकती है जबकि इससे 55,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी होगा।’ हालांकि, विश्लेषकों की राय अलग है। उनका कहना है कि सरकार एयरवेव्स की अब तक की सबसे बड़ी बिक्री में 80,000 करोड़ रुपये के करीब कमाएगी। वित्त मंत्रालय ने टेलिकॉम से 98,995 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जुटाने का प्रावधान किया है जिसमें इस वित्तीय वर्ष में 55,000 करोड़ रुपये से भी कम की स्पेक्ट्रम नीलामी भी शामिल है। बाकी रकम पिछले साल की नीलामी से मिलने वाली लेवी और सेवाओं के साथ-साथ बकाये के विभिन्न मद से आने का अनुमान है।