स्मार्ट सिटी के लिए अफसर स्मार्ट बने : अदालत

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने जुमा को हरमू नदी की साफ-सफाई, सीवरेज-ड्रेनेज की तामीर व कब्जा से आज़ाद करने को लेकर दायर अवमानना दरख्वास्त पर सुनवाई करते हुए अफसरों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी। चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि 15 साल बीतने जा रहा है, लेकिन रांची में सीवरेज-ड्रेनेज, पीने के पानी, ठोस कचरा निजाम की मसला अब भी बरकरार है। साल 2014 में मरकज़ी हुकूमत ने सीवरेज-ड्रेनेज की तामीर के लिए 60 करोड़ रुपये दिया है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।

सीवरेज-ड्रेनेज का काम जोन-वन से शुरू किया जाये। साथ ही शहर तरक़्क़ी महकमा के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी को हदफ़ दायर कर हरमू नदी के तहफ्फुज के लिए हासिल रकम व कितनी रकम खर्च की गयी है, उसकी जानकारी देने की हिदायत भी दिया़। हरमू नदी का एक्शन प्लान क्या है, उसे भी पेश की जाये। हुकूमत को पॉज़िटिव कार्रवाई के लिए अदालत ने तीन सप्ताह की मोहलत दी। हरमू नदी के बीच में और उसके दोनों किनारे पर कब्जा की जानकारी दिये जाने पर बेंच हैरान है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि नदी में अपार्टमेंट बन गया। बिना नक्शा पास किये इमारत कैसे बन गया। बिजली कनेक्शन किसने दिया। नदी के शुरू से आखिर सिरे तक के कब्जा को हटाया जाये। अफसर गॉगल्स उतार कर कब्जा देखें।

कब्जा हटाने पर दर्द होता है, इसके बावजूद उसे हटाने की कार्रवाई करें। डीसी हदफ़ दायर कर कब्जा की हालत वाजेह करें। बेंच ने शहर कमिश्नर को अगली सुनवाई के दौरान मौजूद रहने से छूट देते हुए प्रिन्सिपल सेक्रेटरी मिस्टर सिंह को मौजूद रहने की हिदायत दिया।