मुंबई: मर्कज़ी हुकूमत के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को गैर दस्तूरी और गैरकानूनी क़रार देते हुए शिवसेना ने आज ये इल्ज़ाम आइद किया है। वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की इस फ्लैगशिप स्कीम का असल मक़सद शहर मुंबई पर मर्कज़ का कंट्रोल हासिल करना है। इस प्रोजेक्ट को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए हुक्मराँ इत्तेहाद की हलीफ़ जमात ने कहा कि एक नए अंडरवर्ल्ड के क़ियाम और मुतवाज़ी इंतेज़ामीया मुसल्लत करने की कोशिश है।
शिवसेना के तर्जुमान सामना के इदारिया में कहा गया है । हर एक शहर के मसाइल जुदागाना नवीत के होते हैं। रियासती हुकूमत और म़्यूनिसिपल कारपोरेशन के फंड्स से शहर की तरक़्क़ी-ओ-तामीर की ज़िम्मेदारी एक ख़ानगी कंपनी को तफ़्वीज़ की जाती है जिसे मर्कज़ी हुकूमत कंट्रोल करती है।
अगर कोई मर्कज़ से शहर मुंबई का इंतेज़ामिया चलाने की कोशिश करे तो ये एक आमरियत के मुतरादिफ़ होगा और ख़ानगी कंपियों के ज़रिये नज़म-ओ-नसक़ पर कंट्रोल करने से मुंख़बा अवामी नुमाइंदों के अहकामात नज़रअंदाज कर दिए जाएंगे जो कि गैर दस्तूरी होंगे और ये एक नए अंडरवर्ल्ड (मुंबई की ज़बान में मावरा ना क़ानून टोला) क़ायम करने और मुतवाज़ी हुकूमत मुसल्लत करने की कोशिश होगी।
शिवसेना ने मज़ीद इल्ज़ाम आइद किया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्0ट दरअसल सरमाया दारों , ताजिरों और बिल्डर्स के मुफ़ाद में होगा जिस के लिए 5 साल के दौरान 500 करोड़ फ़राहम किए जाएंगे जबकि शहर का सालाना बजट 34,000 करोड़ का होता है। पार्टी ने कहा कि हर साल 1.5 लाख करोड़ महसूल की शक्ल में मर्कज़ को अदा करते हैं। अगर मर्कज़ 25 फीसद भी शहर के लिए इस्तेमाल करता है तो ना सिर्फ मुंबई बल्कि पूरा महाराष्ट्र स्मार्ट सिटी बन जाएगा।
शिवसेना ने इंतिबाह दिया कि स्मार्टसिटी के नाम पर शहर मुंबई को कसीर क़ौमी कंपनियों का ताबेदार बनने नहीं देंगे। तरक़्क़ी और मुहासिल के बारे में उन्हें फैसला करने दीजिए । आज अवाम से इक़्तेदार छीन लिया जा रहा है और शहरों को दौलतमंदों के हाथों यरग़माल बनाया जा रहा है। अगर ये मुंबई पुरा कमरानी के लिए उक़बी दरवाज़ा की पॉलीसी है तो अवाम बहुत जल्द शिवाजी के हाथ में तलवार देखेंगे।