स्मार्ट फ़ोन = आसान पैसा

स्मार्ट फ़ोन के लिए सनक, युवाओ को महिलाओ पर प्रहार करने के लिए प्रेरित कर रही है। दैनिक रूप से, मोबाइल छीनने के कम से कम पांच मामले शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज कराए जाते हैं और कई ऐसे लोग हैं जो इस बारे मे रिपोर्ट भी नहीं करते, एक पुलिस अधिकारी ने बताया।

ज्यादातर मामलों में, अपराधी मोटरसाइकिल पर बैठे किशोर होते हैं जो सुनसान रास्तो या पॉश कॉलोनी में टहलती महिलाओ को निशाना बनाते हैं।

सालिग्रामम में रहने वाली 18 वर्षीय ए.वैष्णवी ने अपने दु: खद अनुभव को साझा करते हुए कहा, ” मेरे पिताजी और मैं शुक्रवार की रात अपने स्कूटर पर घर वापिस लौट रहे थे। मैं अपने पिताजी के पीछे वाली सीट पर बैठी थी, जब वल्लुवर कोट्टाम के पास एक बाइक पर दो लड़के अचानक हमारे करीब आए और उन्होंने मुझसे मेरा मोबाइल फ़ोन छीनने की कोशिश की। मैंने इसका विरोध किया और मोबाइल सड़क पर गिर गया । जैसे ही मैं चिल्लाई, वे मौके से भाग गए। ”

शहर में मोबाइल फोन छीनने के मामलो में बढ़ोतरी को स्वीकार करते हुए पुलिस आयुक्त ए.के.विश्वनाथन ने सोमवार को कहा, “हमें कई मामलो का पता चलता है और हम आरोपी को गिरफ्तार करते हैं। हम अपराध को नियंत्रण में रखने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। ”

गिरीजा कुमार बाबू, जुविनाइल जस्टिस बोर्ड, चेन्नई के सदस्य ने कहा, “लगभग 30% किशोर जो यहाँ लाये जाते हैं, वे कथित रूप से मोबाइल फोन की चोरी में शामिल होते हैं। चूंकि वे किशोर हैं, हम उन्हें चेतावनी के बाद उनके परिवार के पास वापिस भेज देते हैं और उन्हें प्रोबेशन ऑफिसर की देखरेख में रखते हैं। ”

“यहां तक ​​कि 10 से 12 साल के बीच के बच्चे भी अब इस अपराध में शामिल हो रहे हैं। किशोरावस्था में यह बच्चे, चोरी अपने दोस्तों के दबाव में आकर या जल्दी पैसा कमाने के लिए करते हैं।”

के.के.नगर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अब मोबाइल फोन अनिवार्य हैं। बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रतीक्षा करते समय युवा महिलाएं और पुरुष अपने गैजेट पर गाने सुनते हैं। युवा महिलाये और वरिष्ठ नागरिक इन किशोर युवाओ के लिए आसान लक्ष्य हैं, जो उपयोगकर्ताओं के हाथों से मोबाइल छीनने के लिए बाइक में बैठ कर आते हैं। अधिकांश अपराधियों में किशोर या 18-22 साल की उम्र के वयस्क हैं, जो मोबाइल फोन छीनने के तुरंत बाद उसे स्थानीय बाजार में बेच देते हैं। अगर हम इन किशोर युवाओ को पकड़ कर जुविनाइल कोर्ट में पेश भी करते हैं तो किशोर होने के कारण उन्हें कोई सजा नहीं दी जाती। यह पुलिस अधिकारियों के लिए हताशापूर्ण हैं, क्यूंकि यही लड़के दोबारा सड़को पर चोरी करने के लिए पहुँच जाते हैं।”

स्रोत : द हिन्दू