भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने सप्रीम कोर्ट में मौजूदा हालात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा, सीजेआई भले ही न्यायाधीशों के मामले आवंटित करने के मामले में सर्वसर्वा हों, लेकिन ये काम निष्पक्ष और संस्था के हित में होना चाहिए।
जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि स्वतंत्रत न्यायपालिका से समझौता नहीं किया जा सकता। बकौल लोढ़ा- सीजेआई को नेतृत्व कौशल का परिचय देकर और अपने सहकर्मियों को साथ लेकर संस्था को आगे बढ़ाना चाहिए।
आरएम लोढ़ा ने यह सब बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अरुण शौरी की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहीं। सुप्रीम कोर्ट में आज जो दौर हम देख रहे हैं वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ये सही समय है कि सहकर्मियों के बीच सहयोगपूर्ण संवाद बहाल हो।
उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के तौर पर ऐसी स्थिति का सामना उन्हें भी करना पड़ा था। जैसा उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ के मामले में हुआ है।
उस वक्त भी एनडीए सरकार ने कॉलिजियम की सिफारिश को अलग किया गया था और कॉलिजियम से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की अपनी सिफारिश पर पुर्नविचार करने को कहा था। सुब्रह्मण्यम के बाद में को इस पद की दौड़ से अलग कर लिया था।