स्विस राज्य सम्बन्धी अभियोजक ने आज बताया कि जिहादी प्रचार की अपराधी जांच का दायरा बढा कर इस जांच में देश की सबसी बड़ी इस्लामिक संस्था के प्रतिनिधि को भी शामिल कर लिया गया है। स्विट्ज़रलैंड अटॉर्नी जनरल के कार्यालय द्वारा एएफ़पी को सन्देश भेजे जाने पर पता चला की इस्लामिक सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड के प्रतिनिधि निकोलस ब्लांचो जाँच आधीन है।
आईसीसीएस ने इस कदम को राजनैतिक कदम बताया और कहा कि हम कोर्टरूम में आरोपो का मुकाबला करने के लिए तैयार है।अभियोक्ता ने पिछले साल दिसंबर में केस दर्ज किया था जिसमे आईसीसीएस बोर्ड के सदस्य नईम चरनी पर अलक़ाएदा, इस्लामिक स्टेट और इनके जैसे विभिन्न संस्थाओं के निषेध को दूषित करने का आरोप लगाया था। उनपर प्रचार के उद्देश्य से वीडियो बनाये जाने का सन्देह है। यह वीडियो उनके एक ट्रिप का है जिसमे युद्ध में उजड़ा हुआ सीरिया दिखाया गया है। इस वीडियो के आने के बाद एक साल पहले चरनी पर अलक़ाएदा जैसे गतिविधि करने का आरोप लगाया गया था।
आज अटॉर्नी जनरल के कार्यालय द्वारा बताया गया कि जांच का दायरा बढा कर उसमें आईसीसीएस के अध्यक्ष के साथ ही उसके एक समिति सदस्य को भी शामिल कर लिया गया है क्योंकि निषेध संस्था द्वारा क़ासिम इल्ली को अपना प्रवक्ता बताया गया था।
एनजेद्ज़ेड डेली के इंटरव्यू में अटॉर्नी जनरल माइकल लौबेर ने कल कहा कि यह केस प्राथमिक है कयुनकी हम जानना चाहते है कि जब किसी आतंकी संस्था के आपराधिक प्रचार की बात आती है तो किस हद तक अभिव्यक्ति की आज़ाद का अधिकार सामप्त होता है।
चरनी की वीडियो में जिहादी संस्था जेश अल-फ़तह के वरिष्ठ सदस्य का इंटरव्यू भी है। इस संस्था को अलक़ाएदा से जुड़ा हुआ माना जाता है और इस संस्था ने बाद में अपना नाम बदल कर फ़तह अल शाम कर लिया था। जबकि चरनी ने बताया कि यह फिल्म डाक्यूमेंट्री के तौर पर बनाई गयी थी इसमें किसी तरह का का कोई प्रचार नहीं था। आईसीसीएस इस फिल्म को यूट्यूब पर अब तक दिखाती आ रही है। अब तक इस फिल्म का व्यू 100,000 बार जा चूका है।