हक़्क़ानी नेटवर्क पर अक्वाम ए मुत्तहिदा की इम्तिना

अक्वाम ए मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र)की सलामती कौंसिल (सुरक्षा परिषद) की ‘तालिबान इम्तिना कमेटी ‘ ने अफ़ग़ानिस्तान में हमलों के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले पाकिस्तान स्थित,(मौजूद) शिद्दत पसंद तंज़ीम हक़्क़ानी नेटवर्क को इम्तिना(प्रतिबंध)की फहरिस्त में डाल दिया है।

इस यूनिट के चीफ अब्दुल रऊफ़ ज़ाकिर का नाम भी फहरिस्त में रखा गया है।

पाबंदी लगने का सही मतलब यह है कि हक़्क़ानी नेटवर्क की सभी प्रापर्टी को ज़ब्त कर लिया जाएगा। इसके अलावा इनके मेम्बर्स के बैरूनी सफर पर भी इम्तिना (पाबंदी)आइद होगी और उन्हें हथियार ख़रीदने या बेचने की भी इजाज़त नहीं होगी।

हक़्क़ानी नेटवर्क को अमेरिका के ज़रिए एक शिद्दत पसंद तंज़ीम ऐलान किए जाने के बाद अक्वाम ए मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) ने उसे कुलअदम तंज़ीम (प्रतिबंधित संगठन) की फहरिस्त में डालने का फ़ैसला किया। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हक़्क़ानी नेटवर्क अफ़ग़ानिस्तान में हुए कई हमलों के लिए ज़िम्मेदार है।

अक्वाम ए मुत्तहिदा का कहना है कि 2008 में काबुल के एक होटल में हुए धमाके में आठ लोग मारे गए थे, जून 2011 में काबुल के इंटर कॉन्टिनेन्टल होटल में हुए बम धमाके में 11 अफ़ग़ान शहरी औ दो अफ़ग़ान पुलिसकर्मी मारे गए थे। अक्वाम ए मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) के मुताबिक इन हमलों के पीछे हक़्क़ानी नेटवर्क का ही हाथ था।

इन हमलों के अलावा सितंबर 2011 में काबुल में अमेरीकी सिफारतखाना और बैनुल अक्वामी अंतरराष्ट्रीय सलामती सिक्योरिटी फोर्स के हेडक्वार्टर में हुए हमलों के लिए भी हक़्क़ानी नेटवर्क को ही ज़िम्मेदार माना गया है। 19 घंटों तक चली इस मुठभेड़ में छह बच्चों समेत 16 अफ़ग़ान फौजी हलाक हुए थें |

हक़्क़ानी नेटवर्क पर के अग्वा के भी इल्ज़ाम है और अफ़ग़ानिस्तान के दूसरे शिद्दत पसंद तंज़ीमो से ताल्लुक और तालिबान से ताउन करने के इल्ज़ाम भी इन पर लगते रहे हैं।

अक्वाम ए मुत्तहिदा के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान के काबुल, तख़र, कुंडूज़ और बग़लान सूबे में सारे हमले की ज़िम्मेदारी अब्दुल रऊफ़ ज़ाकिर पर ही है।

अक्वाम ए मुत्तहिदा का कहना है कि हक़्क़ानी नेटवर्क तंज़ीम में शामिल होने वाले नए लोगों को छोटे और बड़े हथियार चलाने की तालीम देने और उन्हें जदीदतरीन धमाके खेज़ बनाने की तर्बियत देंते हैं।