अब्दुल हमीद अंसारी, कोलकाता। इस वक्त देश का माहोल बिल्कुल अजीब दिशा में जाता दिख रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस वक्त पुरा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोलकाता में मौजूद है। दो दिनों से चल रहे प्रोग्राम में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदर जनाब मौलाना सयद रबे हसनी, जेनेरल सेक्रेटरी जनाब मौलाना वली रहेमानी, बिहार के किशनगंज से लगातार दो बार से सासंद और पर्सनल लॉ बोर्ड के सीनियर सदस्य मौलाना असरारुल हक़ कासमी के अलावा बोर्ड के तमाम बड़े लोग शामिल हैं। मालूम हो कि कल यानी 20 नवंबर को कोलकाता में एक बड़ा प्रोग्राम होना है।
यह प्रोग्राम कोलकाता के पार्क सर्कस मैदान में होना है। इस प्रोग्राम में पुरे राज्य से लाखों की संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इससे पहले भी इस मैदान पर प्रोग्राम कर चुकी है और लाखों की तादाद में लोग आकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं। तकरीबन एक माह पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किसी भी प्रोग्राम के लिए ममता बनर्जी सरकार जगह देने को तैयार नहीं थी। जिसको लेकर ममता सरकार को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था।
मालूम हो कि ममता सरकार में कई मुस्लिम समुदाय के नेता और मंत्री हैं जो पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य भी हैं। सबसे अहम बात यह कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने ममता बनर्जी को जबर्दस्त बहुमत से दोबारा सत्ता में पहुंचाया। कहा जाता है कि ममता बनर्जी मुसलमानों के लिए सबसे पंसदीदा नेत्री है।
पश्चिम बंगाल के मुसलमानों का भरोसा उनके उपर बनी हुई है। काफी विरोध के बाद ममता बनर्जी सरकार प्रोग्राम के लिए जगह देने को तैयार है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारतीय कानून में दी गई शरियत के हक़ को बचाने के लिए एक बड़ी जंग लड़ रही है। मालूम हो कि मोदी सरकार बनने के बाद से इस देश में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ़ एक मुहिम चलाई जा रही है, जिसके तहत सरकार आरएसएस के एजेंडे को देश में लागू करना चाहती है।
तीन तलाक़ और यूसीसी को लेकर मौजूदा सरकार की नियत ठीक नहीं है। सरकार कानून में मिली शरियत के हक़ को खत्म कर देना चाहती है। पुरे देश में इसको लेकर मुसलमानों में आक्रोश है। सड़कों से लेकर संसद तक हर जगह आन्दोलन करते नज़र आ रहे हैं मुस्लिम समुदाय के लोग। मुसलमानों के बीच घर-घर जाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग सिग्नेचर मुहिम चला रहे है।
इस्लाम में महिलाओं के हक़ को लेकर उनकी राय ली जा रही है। समाज में बताया जा रहा है कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जहां औरतों को भी खुला लेकर अलग हो जाने का हक़ देती है। एक खबर के मुताबिक भोपाल के एक आकड़े को भी पेश किया गया है, जहां मुस्लिम औरतों ने मर्दों द्वारा तलाक़ दिए जाने से ज्यादा खुला लेने की संख्या बताई गई है।
इस प्रोग्राम को लेकर मेरी बात पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य साबा इस्माइल से हुई। साबा इस्माइल कोलकाता के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रोग्राम एक बहुत बड़ा प्रोग्राम है, जिसके बाद देश भर में इस तरह के प्रोग्राम को अंजाम दिया जायेगा। हाल ही में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में चुने गए सदस्य मौलाना अबु तालिब रहेमानी का कहना है कि यह जंग सिर्फ़ कानूनी हक़ को बचाने का नहीं है, यह जंग हमारे नागरिकता से भी जुड़ा हुआ है।
यूसीसी के जरिए हमें दोहरे दर्जे की नागरिक साबित करने की कोशिश हो रही है। हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे और इनके नापाक इरादे को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि ‘यह देश सेक्युलर है और यहां के कानून में इसकी इजाजत है कि हम अपने महजब के मुताबिक जी सके। हमारी मजहबी आजादी को छीनने की कोशिश हो रही है, जिसे हम कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।
कहा जा रहा है कि, इस प्रोग्राम के बाद केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि पर्सनल लॉ से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है, इसमें छेड़छाड़ करने से मुल्क में रह रहे मुसलमानों के मज़हबी हक़ से छेड़छाड़ करने जैसा है। जिसे मुस्लिम समुदाय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे, जिसका अंजाम पुरे देश को भुगतना पड़ सकता है।