हक्के तालीम क़ानून दीनी मदारिस की बक़ा केलिए ख़तरा

इलम के हुसूल का लाज़िमी क़ानून इस्लाम ने पेश किया मौलाना सय्यद सलमान हुसैनी नदवी मौलाना ख़ालिद सैफ-उल्लाह रहमानी मौलाना अबदुर्रहीम क़ुरैशी और दीगर ख़िताब

हैदराबाद । 24 अक्टूबर ( सियासत न्यूज़) हज़रत मुहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सब से पहले लाज़िमी तालीम का क़ानून आज से चौदह सौ साल पहले पेश किया । ऐसा क़ानून जिस में उम्र की कोई क़ैद नहीं थी बल्कि बच्चे नौजवान मर्द औरत उल-ग़र्ज़ कोई तबक़ा भी तालीम से महरूम नहीं रहा । इस क़ानून का नतीजा था कि जो ख़ित्ता फ़तह होता गया वहां तालीम आम होती गई । यहां तक कि दस लाख मुरब्बा मेल में कोई फ़र्द तालीम से महरूम ना रहा । इस्लाम ने है सारी दुनिया में तालीम को फैलाया । इन ख़्यालात का इज़हार मारूफ़ आलम दीन मौलाना सय्यद सलमान हुसैनी नदवी रुकन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड उस्ताद दार-उल-उलूम नदोৃ अलालमा-ए-लखनऊ ने किया । वो दीनी मदारिस बोर्ड आंधरा प्रदेश के ज़ेर-ए-एहतिमाम तालीमी कनवेनशन बह उनवान राइट टू एजूकेशन क़ानून और दीनी मदारिस-ओ-मुस्लिमा असरी तालीमी इदारों का तहफ़्फ़ुज़ आज बाद नमाज़ इशा ईदगाह उजाले शाह साहिब ऒ सईदा बाद हैदराबाद में मुख़ातब कर रहे थे । उन्हों ने कहा कि यक़ीनी तौर पर सभी बच्चों को लाज़िमी तौर पर तालीम मिलनी चाहीए लेकिन अफ़सोस है कि मुल़्क की आज़ादी के 65 साल बाद इस बात का ख़्याल हुकमरानों को आया कि तालीम को आम किया जाय । इस में भी अमरीका और यूरोप के कल्चर को अपनाया जा रहा है जहां पर अख़लाक़ का दीवालीया निकल चुका है । ऐसी जगह की नक़्क़ाली की जा रही है जहां की सफ़्फ़ाकी से सारी दुनिया सिसक रही है । मौलाना ने कहा कि ये मुल़्क सूफीयों का है संतों का है यहां पर अमरीका के कल्चर को क़बूल करने हम तैय्यार नहीं हैं । उन्हों ने कहा कि तालीम को आम किया जाय लेकिन तालीम वो नहीं जिस से बदअख़्लाकी फैले अर यानीत हो और फ़ह्हाशी का रास्ता बच्चे इख़तियार करें । तालीम वो दी जाय जिस में लोगों को फ़ायदा हो बड़ों का अदब किया जाय असातिज़ा का एहतिराम हो अख़लाक़ी इक़दार के बच्चे मुतहम्मिल बनें दरअसल हक़ीक़ी तौर पर हमारे आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने लाज़िमी तौर पर तालीम हासिल करने का क़ानून अता किया था। और हर मुस्लमान मर्द-ओ-औरत पर इलम हासिल करने को फ़र्ज़ क़रार दिया । मौलाना ने कहा कि हमारा मुल़्क हिंदूस्तान आज़ाद है और इस मुल्क में मज़हबी तालीम पर रोक लगाने या इस में मुदाख़िलत करने का किसी को हक़ नहीं है । इस हक़ को कोई हुकूमत सल्ब नहीं करसकती । हमारा मुतालिबा है कि आबादी में हर जगह स्कूल क़ायम हो लेकिन सरकारी स्कूलों में ग़ैर मयारी तालीम और हुकूमत की तसाहली की वजह से कसीर तादाद में ख़ानगी तालीमी इदारे क़ायम हो रहे हैं । क़ब्लअज़ीं मौलाना ख़ालिद सैफ-उल्लाह रहमानी नाज़िम अलमाद उआली अलासलामी-ओ-जनरल सैक्रेटरी दीनी मदारिस बोर्ड आंधरा प्रदेश ने मुख़ातब करते हुए कहाकि राईट टू एजूकेशन क़ानून का नाम बहुत ही ख़ूबसूरत है अगर तरमीमात को क़बूल कर लिया जाय तो मुलक के मुस्तक़बिल को रोशन करने की उम्मीद की जा सकती है । लेकिन इस क़ानून पर चंद एतराज़ात हैं ये क़ानून पहले से मौजूद मदारिस को चलाने और नए मदारिस को क़ायम करने में दुशवारी पैदा करेगा चूँकि इस क़ानून के तहत हर माँ बाप पर लाज़िम है कि वो अपने छः साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों को लाज़िमी तौर पर तालीम दिलवाईं अगर ऐसा नहीं हुआ तो वालदैन मुजरिम क़रार पाएंगे । इस तरह अगर इस क़ानून के उसूल से हट कर अगर कोई इदारा चलाया जाय तो वो इदारा काबिल-ए-सरज़निश होगा । इस तरह ये क़ानून दीनी मदारिस की बक़ा और क़ियाम दोनों के लिए रुकावट बनेगा । इस क़ानून के तहत मख़लूत तालीम का निज़ाम होगा । इस का मतलब ये है कि अगर कोई लड़कों का मदर्रसा है तो इस में लड़कीयों के दाख़िला को नहीं रोका जा सकता या लड़कीयों का मदर्रसा है तो इस में लड़कों के दाख़िला को नहीं रोका जा सकता जो भी तालीमी इदारा होगा इस के इंतिज़ामीया से 7 फ़ीसद औलिया-ए-तलबा शामिल रहेंगे । इस के इलावा इस इंतिज़ामी कमेटी में 50 फ़ीसद ख़वातीन को भी शामिल करना होगा । इस तरह ना सिर्फ हमारे मदारिस की कद्रें ख़तम हो जाएंगी बल्कि हमारे मुस्लिम मुआशरा की क़दरों को ये क़ानून तबाह कर देगा । इस क़ानून के तहत एक अजीब बात ये भी है कि 8 वीं जमात तक फ़ेल होने के बावजूद बच्चों को तरक़्क़ी देना होगा । जिस की वजह ख़ुद हमारे मुलक के तालीमी मयार पर असर पड़ेगा । राईट टू एजूकेशन क़ानून के तहत बच्चों का दाख़िला तालीमी मयार के लिहाज़ से नहीं बल्कि उम्र के लिहाज़ से होगा। दरअसल इस क़ानून के ज़रीया शरीयत पर नशतर लगाने और मज़हबी तशख़्ख़ुस को मुतास्सिर करने की कोशिश की गई है ।