हक के लिए पैदल चलकर मुंबई पहुंचे किसान, विधानसभा घेराव करने की तैयारी

महाराष्ट्र में किसान अपनी कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं और किसानों ने विधानसभा की ओर कूच किया है. किसान सोमवार को विधानसभा घेराव करने की तैयारी में है. ये किसान पिछले कई दिनों से मार्च पर निकले हुए हैं. आइए जानते हैं किसानों के आंदोलन से जुड़ी अपडेट और क्या है उनकी मांगें…

विधानसभा की ओर बढ़ रहे किसानों को देखते हुए सरकार ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार फडणवीस सरकार किसानों को घेराव से पहले ही रोकने की कोशिश में है. वहीं शिवसेना और मनसे किसानों को समर्थन कर रही है. बता दें कि किसानों का ऐलान है कि वो अनिश्चितकाल तक विधानसभा का घेराव करेंगे और बताया जा रहा है कि इन 30 हजार किसानों की संख्या में इजाफा भी हो सकता है.

अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले किसान नासिक से मुंबई के लिए 7 मार्च को निकले थे. बताया जा रहा है कि इस मार्च में पूरे महाराष्ट्र के 30 हजार से ज्यादा किसान हिस्सा ले रहे हैं. बता दें कि वो करीब 180 किलोमीटर की यात्रा कर मुंबई पहुंचे हैं. पैदल चल रहे किसानों के पांवों में छाले पड़ गए हैं और लगातार चलने से पैर कठोर हो गए हैं.

क्या है मामला: दरअसल कर्ज की समस्या के चलते महाराष्ट्र में किसानों के आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं. इस मार्च में शामिल किसानों की मांग है कि राज्य सरकार ने पिछले साल कर्ज माफी का जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया. साथ ही किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं.

वहीं आदिवासी किसान भूमि आवंटन संबंधी मामलों के निपटारे की भी मांग कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस मार्च में सबसे ज्यादा आदिवासी किसान ही हिस्सा ले रहे हैं. किसानों की मांग है कि उन्हें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक खेती में होने वाले खर्चे के साथ उसका 50 फीसदी और दाम समर्थन मूल्य के रूप में दिया जाना चाहिए. उचित समर्थन मूल्य मिलना चाहिए. केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य दे देना काफी नहीं है. आदिवासी किसानों का कहना है कि कई बार वन अधिकारी उनके खेत खोद देते हैं. वे जब चाहें तब ऐसा कर सकते हैं. आदिवासी अपनी भूमि पर अधिकार चाहते हैं.

क्या हैं स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश: अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने के मकसद से 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था. इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी थी. स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है.

आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने व वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है. न्यूतम समर्थन मूल्य (MSP)औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं, यही इसका मकसद है.