हैदराबाद२०। मार्च : हज़रत-ए-शैख़ अबदुलक़ादिर जीलानीऒ तज़कियानफ़स का अमली नमूना , सब्र-ओ-तहम्मुल सिदक़-ओ-सफ़ा के पैकर अज़ीम औलिया-ए-वो जिन्हें देख कर अल्लाह याद आजाए । जिन को हक़ ताली अपना क़ुरब ख़ास अता करते हैं । उन्हें औलिया-ए-कहा जाता है । पैर इफ़तिख़ारी सय्यद शाह क़ादिर मुही उद्दीन हुसैन संजरी सुख़न चिशती सज्जादा नशीन-ओ-जांनशीन दरगाह चिशती चमन ने इन ख़्यालात काइज़हार तज़किया नफ़स और ग़ौस आज़म दस्तगीर के ज़ेर-ए-उनवान हज़रत वतन हालख़ानक़ाह संजर ये चिश्तिया इफ़्तिख़ारिया चिशती चमन में 17 मार्च की शाम अपने सदारतीख़िताब में किया और तज़किया नफ़स की मुख़्तलिफ़ इक़साम और इस के मफ़हूम को तफ़सीली तौर पर अपनी ख़िरद अफ़रोज़ी का आईना दिखलाया ।
डाक्टर बशीर अहमद ने कहा कि जो बंदा अल्लाह ताली की इबादत ज़्यादा करता हो और गुनाहों से बचता होफ़राइज़ क़ुरब अलहि में मसरूफ़ रहता हो साबिर-ओ-शाकिर हो और जिस की इबादत मेंइख़लास हो उसे वली कामिल कहते हैं और ये सिफ़ात बदरजा उत्तम हज़रत-ए-शैख़अबदुलक़ादिर जीलानीऒ में मौजूद थे । जनाब सादिक़ नवेद ने मौलाए कायनात के हवाले से कहा कि वली वो होता है जिस का चेहरा ज़र-ओ-आँखें तर और पेट भूखा हो ।
सादिक़नवेद ने ये भी कहा कि हज़रत-ए-शैख़ अबदुलक़ादिर जीलानी ऒ को कशफ़-ओ-करामात मुजाहिदात-ओ-तसर्रुफ़ात के लिहाज़ से तमाम औलिया-ए-अल्लाह मैं ख़ुसूसी मुक़ाम हासिल था । मौलाना नादिर अलमसदोसी ने अपने ख़िताब में हुज़ूर ग़ौस पाक की मुख़्तलिफ़करामात मुजाहिदात और तसर्रुफ़ात को मुफ़स्सिल ब्यान करते हुए तज़किया नफ़स कीइक़साम पर रोशनी डाली । और कहा कि फ़रोग़ इस्लाम में ख़ानक़ाही निज़ाम कलीदी एहमीयत का हामिल है ।