नुमाइंदा ख़ुसूसी-नेक नाम पूरा इलाक़ा अपने नाम से ही वाज़ेह है कि ये किसी बुज़ुर्ग की तरफ़ मंसूब है और वाक़िया भी यही है जिस बुज़ुर्ग के नाम से ये इलाक़ा मंसूब है । इन का मज़ार शरीफ आज भी वहां है । नेक नाम पूरा सात गुंबद के बिलकुल अक़ब (पीछे) में है । इसी मुहल्ला में महदवीया क़ब्रिस्तान वाक़ै है और इस से मुत्तसिल बुलंद पहाड़ी पर एक क़ुतुब शाही मस्जिद और एक गुंबद है जिस में मज़ार भी है । उन की मौक़ूफ़ा अराज़ी पर रियासती हुकूमत और लैंड गराबरस मंसूबा बंद प्लानिंग के तहत क़बज़ा जमा रहे हैं । क़ब्रिस्तान के दायरा को तंग किया जा रहा है और मस्जिद-ओ-गुंबद के वजूद को भी इन से ख़तरा लाहक़ है ।
इसी महदवीया क़ब्रिस्तान में हज़रत बंदगी मीरां सैयद रूह उल्लाह आराम फ़र्मा हैं जिन का तआरुफ़ और सिलसिला नसब इस तरह है : हज़रत मीरां सैयद मुहम्मद जोनपूरी मह्दी मौऊद विसाल 910 ह रोज़ा मुबारक फ़रह इलाक़ा अफ़्ग़ानिस्तान के फ़र्ज़ंद हज़रत बंदगी मीरां सैयद महमूद उल-मुख़ातब बह सानी अलमहदी ( भेलोट , गुजरात ) के फ़र्ज़ंद हज़रत बंदगी मीरां सैयद याक़ूब हुसैन विलायत ( दौलत आबाद ) के फ़र्ज़ंद हज़रत बंदगी मीरां सैयद इब्राहीम के फ़र्ज़ंद हज़रत बंदगी मीरां सैयद वली ( बीजा पूर ) के फ़र्ज़ंद हज़रत बंदगी मीरां सैयद रूह उल्लाह मुसन्निफ़ किताब पंज फ़ज़ाइल , तारीख वफ़ात 4 मुहर्रम-उल-हराम 1098 ह मुताबिक़ 1686 ईसवी , मुक़ाम विसाल इब्राहीम बाग़ मुत्तसिल कोठे मियां आलम ख़ान अंसारी क़िला गोलकुंडा , हैदराबाद चार वासतों से आप का सिलसिला नसब हज़रत मीरां सैयद मुहम्मद जौनपूरी मह्दी मौऊद से जा पहुंचता है ।
आप का मज़ार शरीफ नेक नाम पूरा में महदवी के क़ब्रिस्तान में वाक़ै है । लैंड गराबरस क़ब्रिस्तान की अराज़ी पर क़बज़ा करते करते दरगाह के करीब तक आ पहुंचे हैं । अब इस क़ब्रिस्तान की 13 एकड़ 26 गुनटे अराज़ी बाक़ी रह गई है । ये भी सिर्फ रेकॉर्ड के मुताबिक़ है अगर सर्वे किया जाय तो इस में काफ़ी हद तक कमी वाक़ै होने के क़वी इमकानात हैं । जब इस दरगाह के अतराफ़ में क़ब्रों पर बड़े बड़े पत्थर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता क़ब्रों को मिस्मार कर के नाजायज़ क़ाबज़ीन आगे बढ़ रहे थे तो 26 अगस्त 2009 को वज़ीर अकलियती बहबूद जनाब अहमद उल्लाह सदर नशीन रियासती वक़्फ़ बोर्ड जनाब इलियास सेठ , जवाइंट कलेक्टर ज़िला रंगा रेड्डी , आर डी ओ ज़िला रंगा रेड्डी चेवड़ला , एम आर ओ राजिंदर नगर मंडल , रेवन्यू इन्सपैक्टर , सुरवीर इन्सपैक्टर और जनाब फ़ारूक़ अहमद सी ई ओ वक़्फ़ बोर्ड इस क़ब्रिस्तान का मुआइना किया था ।
बाद अज़ां ये ऐलान किया था कि आज के बाद ये सिलसिला बंद हो जाएगा और तमाम मह्कमाजात के ओहदेदारों को सख़्ती के साथ ताकीद की गई थी कि दरगाह के अतराफ़ में पत्थर डालने का सिलसिला जल्द अज़ जल्द बंद होजाना चाहीए । नीज़ चंद क़ुबूर पर जो मलबा डाला जा चुका था उन की सफ़ाई और ख़ाती अफ़राद के ख़िलाफ़ कार्रवाई का भी वज़ीर ने तय्क्कुन दिलाया था । वाज़ेह रहे कि महदवीया मौक़ूफ़ा क़ब्रिस्तान जो दर असल 100 एकड़ से ज़्यादा अराज़ी पर मुश्तमिल था । नाजायज़ क़बज़े होते हुए अब तक़रीबा 14 एकड़ ज़मीन बची है । 2005 में इस का सेकंड सर्वे किया गया था जिस से पता चला कि ये क़ब्रिस्तान 14 एकड़ अराज़ी पर मुश्तमिल है जिस की वक़्फ़ सर्वे में निशानदेही की गई है । इस क़ब्रिस्तान की क़ुबूर पर जो तख्तियां मौजूद हैं इन से पता चलता है कि ये 400 साला क़दीम क़ब्रिस्तान है ।
मुक़ामी लोगों ने बताया कि 1995 -में हलक़ा कारवाँ के इस वक़्त के बी जे पी रुक्न असेंबली बदम बाल रेड्डी ने दलित तबक़ात के अफ़राद की बड़ी तादाद में झोंपड़ीयाँ डलवा दी थीं । जिसे कलेक्टर रंगा रेड्डी ने बर्ख़ास्त करवाया था । 2003 -में इस क़ब्रिस्तान की मौक़ूफ़ा अराज़ी पर सेक्रेट्रीयट मुलाज़मीन की कॉलोनी की तामीर शुरू हुई । सेक्रेट्रीयट मुलाज़मीन कॉलोनी कवापरेटिव सुसाइटी मौक़ूफ़ा अराज़ी पर कॉलोनी की वुसअत को जारी रखे हुए है । यहां तक कि दरगाह हज़रत रूह उल्लाह शाह ऒ के 15 फ़ुट फ़ासले तक नाजायज़ क़बज़ा को लाकर मलबा डाला जा रहा है । क़ुबूर की बेहुर्मती होरही है । वज़ीर अकलियती बहबूद ने अपने 26 अगस्त 2009 के दौरे में वक़्फ़ बोर्ड के ओहदेदारों और एम आर ओ को हिदायत दी थी कि वो सेक्रेट्रीयट इम्प्लाइज़ कॉलोनी के तामीराती काम को फ़ौरन रुकवा दें ।
जिस के बाद चंद रोज़ के लिए काम रोक दिया गया था । लेकिन फिर ख़ामोशी से शुरू कर दिया गया जो हनूज़ जारी है । दरगाह के मुआइना से साफ़ वाज़ेह होता है कि इस के अतराफ़ में बड़ी बड़ी चट्टानें डाल जा रही हैं । मौक़ूफ़ा ज़राए से मालूम हुआ है कि इस मौक़ूफ़ा क़ब्रिस्तान पर नाजायज़ क़ब्ज़ों में लैंड गराबरस से मुक़ामी सरपंचों का भी गठजोड़ है ।मुक़ामी लोगों के मुताबिक़ इस में मुक़ामी पुलिस नारसंगी भी मुलव्विस है । मौक़ूफ़ा अराज़ी पर कॉलोनी का काम ज़ोर-ओ-शोर पर जारी है । वज़ीर की ताकीदी हिदायात-ओ-अहकामात की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं । और जो लोग रुकावट बने हुए हैं । इन को धमकियां भी दी जा रही हैं । मुक़ामी लोगों ने तीन रोज़ कब्ल वज़ीर आला से शख़्सी तौर पर मुलाक़ात कर के इस हवाले से दरख़ास्त की थी तो उन्हों ने भी वाअदा किया था कि काम रुकवा दिया जाएगा ।
इस के बावजूद काम तेज़ी से चल रहा है ।मज़कूरा कॉलोनी की तामीर से एक तरफ़ महदवीया क़ब्रिस्तान और हज़रत रूह उल्लाह की दरगाह का दायरा तंग किया जा रहा है तो दूसरी तरफ़ बुलंद पहाड़ी पर वाक़ै क़ुतुब शाही मस्जिद और गुंबद जिस के अंदर क़ब्र भी है । कॉलोनी के डेवलपर्स उन के अतराफ़ में जी सी पी सेशन से रात दिन काम जारी रखे हुए हैं । मज़ीद ये कि बारूदी बर्मों के ज़रीया चट्टानें फोड़ कर प्लाट की शक्ल दी जा रही है । जिस से मस्जिद और गुंबद के वजूद को ख़तरा लाहक़ हो गया है और अतराफ़ के मुस्लमानों में बे चैनी पाई जाती है । 2009 का वज़ीर अकलियती बहबूद का दौरा और उन की हिदायात बिलकुल बेमानी और बे हैसियत नज़र आता है । रियासती हुकूमत जो अक़लियत दोस्त कहलाती है और मुस्लमानों के वोट पर अपना हक़ समझती है ।
दूसरी जमातों का ख़ौफ़ दिलाकर मुस्लमानों के वोट के ज़रीया इक़तिदार हासिल करने वाली हुकूमत की एक झलक देखनी हो तो नेक नाम पूरा के इस क़ब्रिस्तान का दौरा किया जाय । जहां हज़रत रूह उल्लाह शाह की दरगाह के साथ ग़ासिबाना सुलूक किया जा रहा है और क़ुतुब शाही मस्जिद के अतराफ़ की मौक़ूफ़ा अराज़ीपर खुले आम सरकारी तामीर जारी है । चंद रोज़ कब्ल ही अदालत ने लैंको हिलज़ की अराज़ी को वक़्फ़ तस्लीम किया था और आप बख़ूबी जानते हैं कि लैंको हिलज़ का मालिक बरसर-ए-इक्तदार हुकूमत का एक एम पी है । इस से ख़ूब वाज़ेह होता है कि ये हुकूमत मुस्लमानों के वोट के साथ साथ उन की वक़्फ़ अराज़ी पर भी अपना हक़ समझती है ।
नीज़ इस से मुत्तसिल एक क़दीम तालाब है उसे भी धीरे धीरे पाटा जा रहा है । यानी नेक नाम पूरा में ना मस्जिद महफ़ूज़ है ना क़ब्रिस्तान ना दरगाह और ना ही तालाब , दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली र की अराज़ी पर लिंको हिलज़ , मौलाना आज़ाद यूनीवर्सिटी और दीगर कोआपरेटेड कंपनियां क़ायम होगईं । हज़रत बाबा शरफ़ उद्दीन की अराज़ी में से 1050 एकड़ अराज़ी ए रिपोर्ट के अंदर ले ली गई और अब हज़रत रूह उल्लाह की दरगाह की मौक़ूफ़ा अराज़ी पर सेक्रेट्रीयट मुलाज़मीन की कॉलोनी के 850 मकानात की तामीरजारी है और ये सब सैक़्यूलर और नाम निहाद अक़लियत दोस्त के दौर-ए-इक्तदार में होरहा है ।।