हजामा के ज़रीये कुहना मर्ज़ की तशख़ीस और कई मरीज़ सहतयाब

इदारा सियासत के ज़ेरे एहतेमाम एक रोज़ा मुफ़्त हजामा कैंप का यहां अहाता सियासत के महबूब हुसैन जिगर हाल आबडस पर इनइक़ाद अमल में आया, जिस में 300 मरीज़ों का यूनानी डॉक्टर्स की टीम ने हजामा किया।

इस मौके पर जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ऐडीटर सियासत ने मरीज़ों के हजामा का मुशाहिदा करते हुए कहा कि हजामा में कुहना मर्ज़ की तशख़ीस पोशीदा है और कई मरीज़ों ने इस से इस्तेफ़ादा करते हुए शिफ़ा पाई।

इदारा सियासत के तहत यूनानी उत्बा और डॉक्टर्स के लिए भरपूर तआवुन हमेशा हासिल रहेगा और पुराने शहर में आबिद अली ख़ान आई हॉस्पिटल में हर माह हजामा कैंप मुनाक़िद किया जाएगा।

तक़रीब की सदारत डॉक्टर एम ए वहीद डायरेक्टर सेंट्रल रिसर्च इंस्टीटियूट ने की और अपनी सदारती तक़रीर में कहा कि हकूमत-ए-हिन्द के महिकमा एवश के तहत हैदराबाद में सेंट्रल इंस्टीटियूट है और इस के तहत यूनानी तिब्ब के फ़रोग़ और तहक़ीक़ के लिए सरगर्मीयां जारी हैं।

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के तहत सेंट्रल कौंसिल ने याददाश्त मुफ़ाहमत करते हुए यूनानी में फार्मेसी का डिप्लोमा पिछ्ले तीन चार बरसों से चला रहा है अब उस्मानिया यूनीवर्सिटी के तहत भी हजामा की ट्रेनिंग के लिए क़लील मुद्दती सर्टीफ़िकेट डिप्लोमा कोर्सज़ के लिए मुशावरत जारी है।

उन्होंने हजामा की तारीख़ बयान की और आलमी सतह पर इस के बेहतर नताइज बताते हुए कहा कि मिस्र के बाद चीन ने इस पर काम करते हुए तरक़्क़ी की मंज़िल पर पहुंचा है। उन्होंने सेंट्रल इंस्टीटियूट के तहत अपने भरपूर तआवुन का पेशकश किया। डाक्टर रफ़ी अहमद सुपरिन्टेन्डेन्ट निज़ामीया जनरल हॉस्पिटल ने मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से शिरकत की और अपनी तक़रीर में हजामा को हदीस से साबित करते हुए कहा कि सही बुख़ारी में हजामा से कुहना अमराज़ से राहत पाने के लिए 32 अहादीस के हवाले जात मिलते हैं।

डॉक्टर इबराहीम (जयपुर) ने अपनी तक़रीर में राजिस्थान में चंद पेचीदा अमराज़ के मरीज़ों के ईलाज का अमली तजुर्बा के साथ मिसाल पेश की। हकीम-ओ-डॉक्टर सय्यद ग़ौस उद्दीन साबिक़ मुशीर यूनानी हुकूमत आंध्र प्रदेश ने ख़ौरमक़दम करते हुए हजामा कैंप के इनइक़ाद के मक़ासिद बताए।

कैंप सुबह 9 बजे शुरू हुआ। जनाब ज़हीरउद्दीन अली ख़ान मैनेजिंग एडीटर सियासत ने मुआइना किया। एम ए हमीद ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिए। प्रोग्राम का आग़ाज़ क़ारी अबदुलबारी निज़ामी की क़रा॔त से हुआ। आख़िर में डाक्टर अहसन फ़ारूक़ी ने शुक्रिया अदा किया।