नई दिल्ली: हज यात्रा के भारी किराए में कमी लाकर सब्सिडी के बिना भारतीय हज यात्री की बेहतर सेवा सुनिश्चित करने के लिए हज अधिनियम 2002 में संशोधन किया जाए. हज कमेटी ऑफ इंडिया को एक नोडल एजेंसी बनाया जाए, ताकि वे ग्लोबल टेंडर के जरिए भारतीय हज यात्री को अपनी गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये बचाने में कारगर भूमिका निभा सके। हाफिज नौशाद अहमद ने उक्त मांग किये हैं.
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के अनुअर हज कमेटी के पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद अहमद आजमी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हज मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से यह मांग किया है। उन्होंने कहा कि हज अधिनियम में चूंकि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को हज यात्रा का प्रबंधन सौंपा गया है और वह यह जिम्मेदारी एयर इंडिया पर डाल देती है.
इसलिए श्रीनगर के हज यात्री को जहां 2016 में एक लाख 14 हजार रुपये देने पड़े थे वहीं रांची से हज यात्रा का किराया एक लाख दस हजार रुपये प्राप्त किया गया था। इसी तरह गया से 1.08 लाख, औरंगाबाद 88 हजार, भोपाल से 85 हजार, वाराणसी से 85 हजार, कोलकाता से 71 हजार रुपये बतौर किराया लिया गया था। 2017 में इस महंगे किराए में भी वृद्धि हो सकती है।
श्री आजमी के अनुसार वर्तमान में हज यात्री को जहाँ 48 हजार रुपये देने पड़ते हैं और सब्सिडी की राशि एयर इंडिया को मिल जाती है वहीं ग्लोबल टेंडर के बाद सब्सिडी के बिना हज यात्रा पर 20 से 30 हजार रुपये में संभव हो जाएगा।
एक लाख से सवा लाख हज यात्री को लाने ले जाने का मौका मिलते ही टेंडर के जरिए व्यापार करने वाली उड़ानें व्यावसायिक लाभ के तहत और भी छूट और अधिक सुविधाएं भी मुहैया करा सकती हैं।
श्री आजमी जो हज यात्रियों की समस्याओं को हल करने में सक्रिय रहते हैं, ने कहा कि बहरहाल इस क्रांतिकारी बदलाव के लिए हज अधिनियम में संशोधन अभी संभव नहीं, लेकिन उम्मीद की जाती है कि एनडीए सरकार सत्र में ही संशोधन विधेयक पेश करके देश के अल्पसंख्यक को नए साल का तोहफा पेश करेगी। उन्होंने कहा कि यह मांग पूरे देश के हित में है, इसलिए किसी भी क्षेत्र से कोई विरोध की आशंका नहीं है। जहाँ तक उम्मीद है कि इसका भरपूर समर्थन किया जाएगा।