रियास्ती हज कमेटी के मातहत ओहदेदारों की लापरवाही के सबब कमेटी को 40 लाख रुपये से महरूम होना पड़ा। बताया जाता है कि रियासत की तक़सीम के पेशे नज़र महकमा फ़ाइनेन्स के ओहदेदारों ने तमाम मह्कमाजात और इदारों को बारहा इस बात से आगाह कर दिया था कि 30 मई को महकमा फ़ाइनेन्स से मरबूत तमाम अकाउंट्स मुंजमिद कर दिए जाएंगे और इन में मौजूद रक़म सरकारी ख़ज़ाना में वापिस चली जाएगी।
2 जून को रियासत की तक़सीम पर अमल आवरी और दो नई रियास्तों के वजूद में आने के बाइस महकमा फ़ाइनेन्स ने अकाउंट्स को दो दिन क़ब्ल ही मुंजमिद करने का फ़ैसला किया।
महकमा फ़ाइनेन्स की जानिब से इस सिलसिले में तमाम इदारों को क़ब्लअज़ वक़्त इत्तिला दिए जाने के बाद कई इदारों ने महकमा फ़ाइनेन्स से मरबूत पी डी अकाउंट में मौजूद अपनी रक़ूमात दूसरे करंट अकाउंट्स में मुंतक़िल करते हुए अपने बजट को ज़ाए होने से बचा लिया।
अक़लीयती इदारों में अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन, उर्दू अकेडमी और दूसरों ने अपने पी डी अकाउंट से बजट की रक़म को दूसरे अकाउंट में मुंतक़िल कर लिया ताकि ये रक़म सरकारी ख़ज़ाना में वापिस जाने से बच जाए।
इस के इलावा दीगर उमूर की तकमील में भी दुशवारी होगी। वाज़ेह रहे कि गुज़िश्ता साल हज कमेटी का सालाना बजट 2 करोड़ था और हुकूमत ने सारी रक़म जारी करदी थी।