हज पर नहीं चाहिए सब्सिडी, सुविधाएं बढ़ें

वजीर खारजा (विदेश मंत्री) एस एम कृष्णा की तरफ‌ से हज पर सब्सिडी को खत्म करने की कोशीशों को हरी झंडी दीखाने के बाद देश की मूस्लिम तंजीमो के सूदूर‌ ने कहा है कि सरकार सब्सिडी की व्यवस्था समाप्त कर सकती है, लेकिन उसे हज यात्रियों के लिए सुविधाओं में इजाफा करना चाहिए। गूजशता दो अप्रैल को कोच्चिच्में कृष्णा ने पत्रकारों की ओर से हज सब्सिडी पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि बड़ी संख्या में मुस्लिम संगठनों ने केंद्र से संपर्क कर हज पर सब्सिडी की व्यवस्था को खत्म किए जाने की मांग की है। इस पर गौर किया जा रहा है। हज सुधार प्रक्रिया चल रही है और यह पहलू भी उसका एक हिस्सा है।

इस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वरिष्ठ पदाधिकारी नियाज फारूकी ने कहा कि हज पर सब्सिडी की बात लंबे वक्त से की जा रही है और इसका फायदा हज यात्रियों को नहीं मिलता है। इसका फायदा एक एयरलाइंस को मिलता है। ऐसे में सरकार इस कथित सब्सिडी को खत्म कर सकती है।

फारूकी ने कहा कि सब्सिडी की बजाय सरकार को हज यात्रियों के लिए रहने और खाने जैसी सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। ये जरूरी हैं। सब्सिडी के नाम पर गलतफहमी नहीं फैलाई जानी चाहिए। सब्सिडी के बावजूद भी लोगों को ज्यादा किराया देना पड़े तो फिर इसका क्या फायदा।

बजट पत्र के मुताबिक हज यात्रियों के लिए विमान किराए पर लेने के लिए सरकार ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय को साल 2010-11 में 870 करोड़ रुपये और 2011-12 में 685 करोड़ रुपये दिए। साल 2012-13 के लिए मंत्रालय को 655 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान है।

मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सब्सिडी के नाम पर हज यात्रियों को जिस दर में विमान का टिकट मिलता है, उससे कहीं कम में कोई भी व्यक्ति सउूदी अरब का सफर कर सकता है।

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के महासचिव इलियास मलिक ने कहा कि हज के लिए सब्सिडी का कोई मतलब नहीं है। कोई भी मुसलमान आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद ही हज के लिए निकलता है और ऐसे में उसे किराए में रियायत की जरूरत नहीं है। सब्सिडी के बाद एक तरफ का किराया 20 से 22 हजार रुपये पड़ता है, जबकि इसी सफर के लिए दूसरी एयरलाइंस 18 से 19 हजार रुपये लेती हैं। ऐसे में सब्सिडी का क्या फायदा।

मलिक ने कहा कि सरकार को हज यात्रियों के लिए सुविधाओं में इजाफा करना चाहिए। अक्सर शिकायतें आती रही हैं कि वहां हज पर गए लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है कि लोगों को रहने, खाने और दवाओं से जुड़ी उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से हज यात्रियों की सुविधाओं के लिए अलग राशि मुहैया कराई जाती रही है। सरकार ने हज यात्रियों को सुविधाएं देने के लिए विदेश मंत्रालय को साल 2010-11 में 7.62 करोड़ रुपये और 2011-12 में 9.19 करोड़ रुपये दिए। इस साल इस राशि को बढ़ाकर 9.60 करोड़ रुपये करने का प्रावधान है। सूफी संगठन ऑल इंडिया उलेमा एवं मशायक बोर्ड के प्रवक्ता सैयद बाबर अशरफ का कहना है कि हमने पहले भी कहा है कि सरकार सब्सिडी के नाम पर धोखा दे रही है। सब्सिडी के नाम पर ज्यादा किराया लिया जाता है और हज यात्रियों को मुश्किलें भी झेलनी पड़ती हैं। हज की पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के साथ ही इसमें सरकार का दखल कम से कम होना चाहिए।