हड़ताल असंवैधानिक नहीं, विरोध करना बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हड़ताल कभी असंवैधानिक नहीं हो सकती। विरोध करने का अधिकार एक बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार है। हम कैसे कह सकते हैं कि हड़ताल असंवैधानिक होती है?

चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक संगठन हड़ताल बुलाकर इस संबंध में पहले दिए गए न्यायिक आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया था कि हड़ताल से आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए उसे लेकर स्थिति साफ होनी चाहिए।

जब शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता अपनी बात समझाने में नाकाम रह गया तो उसने अपनी अर्जी वापस लेने का फैसला किया। भारत में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के श्रमिक संगठन हैं। देश की राजनीति में इन संगठनों की खास भूमिका है। बंद या हड़ताल इनके लिए ‘विरोध’ और ‘मांग’ का प्रमुख माध्यम है।

×