हथियार लेकर जुलूस, नहीं निकालने देंगे- ममता बनर्जी

रामनवमी के समारोहों को लेकर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार और बीजेपी फिर आमने-सामने हैं. विभिन्न भगवा संगठनों की ओर से रामनवमी के लिए सशस्त्र जुलूस निकालने की संभावना को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले से ही कमर कस ली है. बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के डीजीपी सुरजीत कार पुरकायस्थ को इस संबंध में खास निर्देश दिए. रामनवमी 25 मार्च को है.

बीरभूम जिले में एक बैठक को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘ऐसे कुछ संगठन हैं जो शस्त्रों के साथ पारंपरिक जुलूस निकालते हैं. उन्हें इसके लिए पुलिस से विशेष अनुमति लेनी होगी. सिर्फ उन्हीं संगठनों को जो पिछले 50 या 100 साल से ऐसी रैलियां निकाल रहे हैं उन्हें ही इसकी इजाजत दी जाएगी. इसके अलावा किसी भी नई रैली को इजाजत नहीं दी जाएगी. मैं जानती हूं कि ऐसे कुछ जुलूस हावड़ा और आसनसोल में निकाले जा रहे हैं लेकिन कहीं भी उपद्रव नहीं करने दिया जाएगा. बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं इसलिए इस तरह के जुलूस, रैली दोपहर 4 बजे के बाद ही निकालने दिए जाएंगे.’

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से ये फरमान उस दिन आया जिस दिन ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से दीवारों पर ऐसे पोस्टर लगे देखे गए जिनमें लोगों को रामनवमी की बधाई दी गई थी. मंगलवार को दुर्गापुर में उस वक्त तनाव हो गया जब तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने ऐसा एक पोस्टर देखा जिसे अज्ञात लोगों ने फाड़ दिया था. इस पोस्टर पर ममता बनर्जी की फोटो भी थी.

बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने इस पूरे प्रकरण को राम ‘लीला’ का नाम दिया. घोष ने कहा, ‘अनेकों को भगवान राम रास्ते पर ले आए, ममता बनर्जी कोई अपवाद नहीं हैं.’

घोष ने कहा, ‘उन्होंने (ममता बनर्जी) ऐसा ड्रामा दुर्गा विसर्जन के वक्त भी किया था. बीते साल भी उन्होंने राज्य में रामनवमी के जुलूसो को रोकने के लिए पुरजोर कोशिश की थी. लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि लोगों की राय उनके साथ नहीं है तो तृणमूल नेताओं ने खुद ही तलवारें लेकर जुलूसों में हिस्सा लिया. वो जो हिजाब में फोटो खिंचवा कर पोस्ट करते हैं अचानक रामनवमी मनाने के लिए आतुर दिखते हैं. लोग उनके झांसों को समझने लगे हैं.’