हदीस शरीफ़

हज़रत अबदुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है रसूल अल्लाहो सल्लाह अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया एक उमरा से दूसरे उमरा तक के दरमयान तमाम गुनाह माफ़ करदीजीए जाते हैं , हज्ज-ए-मबरूर ( नेकियों वाला हज) की जज़ा सिवाए जन्नत के कुछ नहीं है । (बुख़ारी-ओ-मुस्लिम )