हज़रत अली रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) जैसा हसीन-ओ-जमील ना मैंने पहले कभी देखा और ना बाद में कभी देखा । (शमाइल तिरमिज़ी)
हज़रत अली रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) जैसा हसीन-ओ-जमील ना मैंने पहले कभी देखा और ना बाद में कभी देखा । (शमाइल तिरमिज़ी)