हदीस शरीफ

उम्मुल मुमेनीन हज़रत आईशा सिद्दीका रज़ी अल्लाहो तआला अनहा फ़रमाती हैं अगर ज़ुलेखा की सहेलियां रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) के चेहरा-ए-अनवर को देख लेतीं तो हाथों के बजाय दिलों को काट देतीं । (शमाइल तिरमिज़ी)