आइए हम आपको आब-ए-ज़म ज़म के पानी की चंद खूबियों के बारे में बताते हैं। ज़मज़म का यह कुआं कभी भी नहीं सूखा। यही नहीं इस कुएं ने जरूरत के मुताबिक पानी की पूर्ति की है। जब-जब जितने पानी की जरूरत हुई, यहां पानी उपलब्ध हुआ।
ज़मज़म के पानी को लेकर नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक हदीस यहाँ ज़िक्र की जा रही है जिससे आप इस मुक़द्दस और पवित्र पानी की महत्वपूर्ण होने का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
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हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़िअल्लाह तआला अन्हु फ़रमाते हैं की मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म को फरमाते हुए सुना “ज़म-ज़म का पानी जिस नियत से पिया जाए, उस से वही फ़ायदा हासिल होता है।
इस पानी के साल्ट की संरचना हमेशा एक जैसी रही है। इसका ज़ायका भी, जबसे ये वजूद में आया तब से एक सा ही है। यह पानी सभी को सूट करने वाला और फायदेमंद साबित हुआ है। इसने अपनी अहमियत को साबित किया है। दुनियाभर से हज और उमरा के लिए मक्क-ए-मुकर्रमा आने वाले लोग इसको पीते हैं और इनको इस पानी को लेकर कोई शिकायत नहीं रही। बल्कि ये इस पानी को बड़े शौक़ और अक़ीदत से पीते हैं और खुद को ज़्यादा तरोताज़ा महसूस करते हैं।
(साभार- नया भारत टाइम्स)