हफिज और कुरआ के एज़ाज़ में तकरीब

जमशेदपुर 18 मई : मदरसे के तालिबे इल्म मेहमानाने रसूल होते हैं और उनकी खिदमत, हौसला अफजाई से अल्लाह खुश हो जाते हैं। इसी ज़ज्बे से मुतासिर होकर नज़ीर फाउंडेशन के ज़ेरे एहतेमाम जमशेदपुर के तमाम मुदारिस अम्साल फार्गिन हफिज और कुरआ (कुरान याद करने वाले और पढने वाले) को एजाज से नवाजने के लिए एक तकरीब टाटा स्टील के मायकल जान एडोटेरियम में रखी गई थी, जिस में 23 मदारिस इस्लामिया के कुल 272 हाफ़िज़े कुरान को मेहमान खुसूसी एमपी डॉक्टर ए जे कुमार, पैगाम इस्लाम के डायरेक्टर सैयद सैफुद्दीन अस्दक और समाजी कारकुन अमानुल्लाह खान के इलावा नज़ीर फाउंडेशन के सरप्रस्त नज़ीर अहमद के हाथों एजाज बख्सा गया।

मेहमान खुसूसी डॉक्टर ए जे कुमार ने कहा के मुदारिस इस्लामिया तालिबे इल्म की जेहनी तरबियत और उनके किरदार की तामीर में अहम रोल अदा कर रहे हैं। लेकिन उलेमा और हुफ्फाज़ को असरी तालीम से भी देनी ज़रूरी है ताके वो डॉक्टर, इंजिनियर, आईएएस और आईपीएस बन कर भी मुल्क की खिदमत कर सकते हैं। उन्होंने कहा के तालिबे इल्म की हौसला अफजाई के लिए तक़रीबात से उनके अन्दर जोश पैदा होता है।

इस मौक़े पर सैयद सैफुद्दीन ने कहा के किसी भी मज़हब की किताबों को अगर दरिया में डाल दें या नज़ृ आग के हवाले कर दें तो उसका वजूद ख़त्म हो जायेगा लेकिन कुरान करीम दुनिया के तमाम मज़ाहिब के किताबों में वो मुक़द्दस आसमानी किताब है जिसे समंदर की आगोश में दे दिया जाये फिर भी ये सलामत रहेगा। हाफिज कराम की दिलों में और फिर से वो कुरान मुक़द्दस की सूरत में जलवागर हो जायेगा। समाजी कारकुन अमानुल्लाह खान ने कहा के अपनी पूरी जिन्दगी में उन्होंने हफिज और कुरआ का इज्तेमा इस तरह का नहीं देखा।