हमजिंस परस्ती पर मर्कज़ का मुतज़ाद मौक़िफ़ , सुप्रीम कोर्ट की सरज़निश

मर्कज़ी हुकूमत ने हमजिंस परस्ती को जुर्म क़रार देने की सुप्रीम कोर्ट में आज हिमायत जबकि माज़ी में इस मसला पर मर्कज़ का मौक़िफ़ इससे मुतज़ाद था। ताज़ा तरीन मौक़िफ़ पर सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त ब्रहमी का इज़हार करते हुए ये रिमार्क किया कि हुकूमत को चाहीए कि वो निज़ाम का मज़ाक़ ना उड़ाए।

हमजिंस परस्ती से मुताल्लिक़ मुतनाज़ा मुक़द्दमा पर समाअत के आग़ाज़ के साथ ही एडीशनल सॉलीसिटर जनरल मोहन जैन ने बंच से कहा कि हुकूमत के फ़ैसला के मुताबिक़ दिल्ली हाइकोर्ट के फ़ैसला में कोई क़ानूनी नुक़्स या ख़ामी नहीं है, जिसके ज़रीया 2009 में हमजिंस परस्ती को जुर्म क़रार ना देने की तौसीक़ की गई थी।

वज़ारत-ए-सेहत की तरफ़ से रुजू होते हुए मिस्टर जैन ने हमजिंस परस्ती को जुर्म क़रार ना देने की मुख़ालिफ़त की थी। इनका ये मौक़िफ़ वज़ारत-ए-दाख़िला की तरफ़ से रुजू होने वाले एडीशनल सॉलीसिटर जनरल पी पी मल्होत्रा के मौक़िफ़ से मुतज़ाद था। जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस एस जे मुखोपाध्याय पर मुश्तमिल बंच ने इस मसला पर मौक़िफ़ में बार बार तब्दीली पर मर्कज़ी हुकूमत की सख़्त सरज़निश की।

बंच ने बेहस के दौरान मुदाख़िलत करते हुए रिमार्क किया कि निज़ाम को तज़हीक मत कीजिए। एडीशनल सॉलीसिटर जनरल मल्होत्रा पहले ही इस केस पर तीन घंटों तक बहस कर चुके हैं। आप अदालत का वक़्त ज़ाए मत कीजिए। इस बंच ने मिस्टर जैन से मज़ीद कहाकि वज़ारत-ए-दाख़िला की तरफ़ से पेश कर्दा दलायल और बहस का नोट ले चुके हैं। अब आप अपनी वज़ारत का मौक़िफ़ ब्यान कीजिए।

जिसके बाद मिस्टर जैन ने वज़ारत-ए-सेहत की तरफ़ से बहस करते हुए मर्दों के दरमयान हमजिंस परस्ती को जुर्म क़रार ना देने की हिमायत की। हुकूमत ने माज़ी में 23 फ़बरोरी को इस मुक़द्दमा की समाअत के दौरान हमजिंस परस्ती को जुर्म क़रार ना देने की सख़्त मुख़ालिफ़त करते हुए इस फे़अल को इंतिहाई ग़ैर अख़लाक़ी क़रार दिया था लेकिन बाद में मुख़्तलिफ़-ओ-मुतज़ाद मौक़िफ़ इख्तेयार किया, जिसके नतीजा में इस (हुकूमत) को बंच की तन्क़ीद का सामना करना पड़ा।

मिस्टर मल्होत्रा ने कहा था कि हमजिंस परस्ती समाजी निज़ाम के मुग़ाइर है और हिंदूस्तानी मुआशरा बैरूनी ममालिक के इस फे़अल की तक़्लीद नहीं कर सकता। जैसे ही ज़राए इब्लाग़ ने इस मौक़िफ़ के बारे में ख़बर दी वज़ारत-ए-दाख़िला ने फ़ौरी तौर पर अपने एडीशनल सॉलीसिटर जनरल के मौक़िफ़ से बेताल्लुक़ी का इज़हार किया था।

यहां तक कि वज़ारत-ए-दाख़िला ने एक अलहदा ब्यान जारी करते हुए कहा था कि हमजिंस परस्ती को मुजरिमाना फे़अल क़रार ना देने से मुताल्लिक़ हाइकोर्ट के फ़ैसला पर इस ने कोई मौक़िफ़ इख्तेयार नहीं किया है।