हमडा की मेहरबानी से हैदराबाद में खालिस्तान !!

एक वक़्त था जब खालिस्तान Khalistan का नाम लेने वालों को पंजाब या मुल्क के दीगर हिस्सों में गिरफ़्तार करलिया जाता । उन के ख़िलाफ़ मुल्क से ग़द्दारी के मुक़द्दमात दर्ज किए जाते थे । कोई भी हिंदूस्तानी खालिस्तान का नाम सुनना ही नहीं चाहता था लेकिन हमारे सरकारी महिकमा जो चाहे कर सकते हैं एसा ही कुछ हमडा ने किया है इस ने शहर में एक खालिस्तान बसा दिया है लेकिन अफ़सोस के इस के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और ना ही कोई गिरफ्तारियां अमल में लाई जा रही हैं ।

चौंकिए मत बात दरअसल ये है कि हमडा ने दीगर सरकारी मह्कमाजात के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए ग़फ़लत और बेहिसी की राह इख़तियार की और शहर में एक एसा बोर्ड नसब कर दिया जिस पर दरगाह खालिस्तान क़िस्मत पूर तहरीर किया गया है । अंग्रेज़ी और तेलगू ज़बानों में तहरीर करदा इस बोर्ड को आप ओटर रिंग रोड के ( आंधरा प्रदेश पुलिस एकेडेमी ) जंक्शन पर देख सकते हैं अगर देखा जाय तो बोर्ड पर इस तरह की तहरीर होनी चाहीए थी दरगाह ख़लीज ख़ान क़िस्मत पूर लेकिन हमडा के बा सलाहियत ओहदेदारों ने इस इलाक़ा का नाम ही बिगाड़ दिया ।

अक्सर यही समझा जाता था कि सरकारी महिकमा और दूसरी एजंसियां उर्दू से तास्सुब बरतते हुए नामों को बिगाड़ती हैं लेकिन अंग्रेज़ी और तेलगू में तहरीर करवाए गए बोर्डस पर भी इमला की गलतियां ज़ोरों पर हैं । ताहम नोटिस में लाए जाने के बावजूद ओहदेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती । हमडा ने दरगाह खालिस्तान क़िस्मत पूर का जो बोर्ड लगाया है इस मुक़ाम से सिर्फ दो कीलो मीटर पर दरगाह हज़रत ख़लीज ख़ान क़िस्मत पूर वाक़ै है । हज़रत ख़लीज ख़ान आलम गीर औरंग ज़ेबऒ की फ़ौज में सूबेदार थे और उन का असल नाम चीन ख़लीज ख़ां बहादुर था ।

आप र का इंतिक़ाल 7 फरवरी 1687 में हुआ और आप की मज़ार क़िस्मत पूर हिमायत सागर में वाक़ै है । मुक़ामी अवाम ने हमडा के ओहदेदारों को इस संगीन ग़लती की जानिब तवज्जा दिलाई तब ओहदेदारों ने कहा कि इस सिलसिला में दरख़ास्त दीजिए तब ही कार्रवाई हो सकती है । क्यों कि हर चीज़ का एक तरीका होता है । आप को बतादें कि 6696 करोड़ की लागत से तामीर की गई आउटर रिंग रोड को मौत की सड़क भी कहा जाता है । यहां इस्पीड की हद 120 केलो मीटर फ़ी घंटा रखी गई है । यही वजह है हर रोज़ इस रोड पर हादिसात पेश आते रहते हैं ।

इस रोड पर कई नौजवान बिशमोल हिंदूस्तानी टीम के साबिक़ कप्तान मुहम्मद अज़हर अलुद्दीन के फ़र्ज़ंद हादिसे का शिकार हो कर मौत के मुंह में जा चुके हैं । क़ारईन हम जो तस्वीर शाय कर रहे हैं उसे देख कर आप हमडा की संगीन ग़लती का अंदाज़ा लगा सकते हैं । काश सरकारी महिकमा बोर्डस लिखवाने से क़बल ज़बान-ओ-बयान के माहिरीन और इलाक़ा के पस-मंज़र से मुताल्लिक़ जानकारी रखने वालों से बात करते ।।