हैदराबाद 21 अप्रैल: काश दुबारा चुनाव आजाऐं और हम अपने नुमाइंदों से ये कह सकें कि हमारे नलों की तरह हमारे गले भी ख़ुशक होने लगे हैं। चूँकि पुराने शहर के अवाम की ये बदक़िस्मती है कि इन इलाक़ों के नुमाइंदे चुनाव मुहिम के दौरान ही मसाइल के हल के यकीन देते नज़र आते हैं और चुनाव से पहले ही करोड़ों रुपये लॉगती तामीरी-ओ-तरक़्क़ीयाती कामों के इफ़्तेताह अंजाम दिए जाते हैं जो दुबारा चुनाव अमल के आग़ाज़ तक भी तकमील को नहीं पहुंचते। शहरे हैदराबाद के कई इलाक़े पानी की क़िल्लत से दो-चार हैं लेकिन कोई परेशान हाल अवाम का पुरसान-ए-हाल नहीं है और ना ही मसले की यकसूई के लिए बेहतर नुमाइंदगी की जा रही है।30 साल बाद शहर के बड़े ज़ख़ाइर आब-ए-ख़ुशक हो गए हैं।
हुकूमत की तरफ से शहर के हर घर तक पानी पहुंचाने के एलानात किए जा रहे हैं और दौरान चुनाव मुहिम हर उम्मीदवार मसाइल के हल की बात कर रहा था मगर आज शहर के कई इलाक़ों के अवाम को दरपेश पानी की क़िल्लत से राहत पहुंचाने के लिए कोई मौजूद नहीं है। शहरे हैदराबाद में एसी आबादीयां भी पाई ज रही है जहां 10 दिन में एक मर्तबा पानी सरबराह किया जा रहा है लेकिन इस मसले पर कोई तवज्जा देने के बजाये क़ाइदीन गरमाई तातीलात में मसरूफ़ हैं जबकि अवाम बूँद बूँद पानी को तरस रहे हैं।
स्लम इलाक़ों में सरबराही आब रोक दिए जाने या फिर क़िल्लत पैदा होने की सूरत में टैंकरस के ज़रीये पानी की सरबराही यक़ीनी बनाई जाती थी लेकिन जारीया मौसिम-ए-गर्मा में महिकमा आबरसानी की तरफ से इस मसले पर भी तवज्जा नहीं दी जा रही है बल्कि टैंकर के लिए दरख़ास्त करने के दो तीन दिन् बाद सरबराही को यक़ीनी बनाने में माज़ूरी का इज़हार किया जाने लगा है।
हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा महेशोरम याक़ूतपूरा के अलावा दुसरे मुक़ामात से वसूल होने वाली शिकायात के मुताबिक़ कई इलाक़ों इसमईलनगर मुहम्मदनगर ग़ौसनगर कुबा-ए-कॉलोनी शाहीननगर ईदीबाज़ार तालाबकट्टा में पानी की क़िल्लत शिद्दत इख़तियार करती जा रही है।
ज़र-ए-ज़मीन सतह-ए-आब में आरही गिरावट मुस्तक़बिल के लिए ख़तरा ज़रूर है लेकिन इन इलाक़ों में अवाम जिन मसाइल का शिकार हैं उनमें सबसे अहम मसला पानी का बन चुका है और कोई इस मसले को हल करवाने संजीदा नहीं है।
मुक़ामी अवाम का कहना है के काई मर्तबा मुंख़बा नुमाइंदों को तवज्जा दिलवाए जाने के बावजूद मसले का हल दरयाफ़त करने के इक़दामात से गुरेज़ किया जा रहा है चूँकि अब मुस्तक़बिल क़रीब में कोई चुनाव नहीं हैं और ना ही अवाम के बीच पहुंच कर वादेओएलानात करने हैं इसी लिए नुमाइंदगी के बाद इस संगीन मसले को ग़ैर अहम क़रार देते हुए ये तसव्वुर कर रहे हैं कि अवाम उस मसले को भी बहुत जल्द फ़रामोश कर देंगे लेकिन शायद सियासी क़ाइदीन तक ये बात नहीं पहुंच रही है कि जिन लोगों ने मसाइल के हल की आस लगाए उन्हें वोट दिए हैं वही अवाम आज मुंख़बा अवामी नुमाइंदों को गाली देने लगे हैं और ये कह रहे हैं कि जिन लोगों ने आस दिखाई थी वो लापता हैं और उन लोगों के नुमाइंदे अवाम की इन मुश्किलात को हल करने के बजाये पानी की फ़रोख़त करते हुए उनमें इज़ाफ़ा कर रहे हैं जिस पर अवाम में ब्रहमी पाई जाती है। चंदरायन गुट्टा-ओ-महेशोरम के इलाक़ों में सैंकड़ों मकानों के क़रीब बड़े बड़े बयारल रखे गए हैं ताकि पानी आने की सूरत में फ़ौरी जमा किया जा सके।