सहारनपुर: कुछ दिन पहले बरेलवी आंदोलन के संस्थापक मौलाना अहमद रजा खान ‘अला हजरत’ के पड़पोते खान अचानक दारूल उलूम देवबंद पहुंचे थे। मौलाना भारतीय के मुसलमानो में सुन्नी समुदाय के दो विरोधी पंथों के बीच एकता स्थापित करने के मकसद से वहां गए थे।
मौलाना के मुातबिक मुसलमानों की एकता के लिए उन्होंने यह कदम एक युवा मुसलमान की मां के आंसुुओं के बाद उठाया है, जिसे हाल ही में आतंकवादी बताते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। खान कहते हैं, “हमारे बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्त आ गया है कि हम एक हो जाएं और युवा मुसलमानों को जेल में डालने वालों के खिलाफ लड़ें। हमारे बच्चे हमारी इकलौती संपत्ति हैं और उनपर हमले हो रहे हैं।
मालेगांव मामले को ही ले लीजिए, हमारे लड़कों को सजा हो गई या वे सालों, दशकों तक जेल में रहे, आखिरकार उन्हें रिहा कर दिया गया। तब तक उनकी इज्जत लुट चुकी थी और उनका आत्मविश्वास गायब हो चुका था। इन सब बातों से हमें एक होकर लड़ना होगा। कोई मुसलमान अच्छा या बुरा नहीं है। मौलना ने कहा जब तक हम एक नहीं हो जाते ऐसे मसले हमारे सामने आते रहेंगे,लिहाजा हमें एक हो सारी ताकतों से लड़ना होगा