नई दिल्ली: सुप्रीमकोर्ट की पाँच जजों पर मुश्तमिल दस्तूरी बेंच , दरख़ास्तों की समात करेगी जिसमें ”बालिग़ों में बाहमी रजामंदी के साथ हम-जिंस परस्ती’ को ताज़िरात-ए-हिंद की दफ़ा 377 के तहत मुजरिमाना जिन्सी सरगर्मी क़रार दिए जाने के फ़ैसला लेने की ख़ाहिश की गई है।
चीफ़ जस्टिस टीएस ठाकुर ,जस्टिस ए आर डावे और जस्टिस जेएस खीहर पर मुश्तमिल बेंच ने कहा कि इस मामले में चूँकि दस्तूर से मुताल्लिक़ अहम मामलात दरपेश हैं लिहाज़ा बेहतर यही होगा कि उसे पाँच जजों पर मुश्तमिल दस्तूरी बेंच से रुजू किया जाये। बेंच ने कहा कि वसीअतर बेंच मुस्तक़बिल में तशकील दी जाएगी।
बेंच को बताया गया है कि 8 दरख़ास्तें हैं जिनमें 11 दिसम्बर 2013 के फ़ैसले और नज़रेसानी दरख़ास्तों पर जारी करदा हुक्म के अज़सर-ए-नौ जायज़े की ख़ाहिश की गई है। दिल्ली हाइकोर्ट ने ताज़ीरात-ए-हिंद की दफ़ा 377 (ग़ैर फ़ित्री जिन्सी जुर्म के बारे में अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि उसे जुर्म क़रार नहीं दिया जाना चाहिए।
बेंच को मतला किया गया कि शुमाली हिंद के गिरजा-घरों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड भी हम-जिंस परस्ती को ग़ैर मुजरिमाना क़रार देने के ख़िलाफ़ हैं। सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने बेहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि इस मामले में कई दस्तूरी मसाइल शामिल हैं। इस मुक़द्दमे में कई सीनियर वुकला पैरवी कर रहे हैं बेंच ने कहा कि इस अहम मसले को पाँच जजों पर मुश्तमिल दस्तूरी बेंच से रुजू किया जाये|