हम साथ साथ है: मोदी-आडवाणी, उमा-शिवराज

मध्यप्रदेश में हैट्रिक बनाने की कोशिश में जुटे वज़ीर ए आला शिवराज सिंह चौहान को भी विधानसभा की इंतेखाबी जंग में नरेंद्र मोदी की जरूरत पड़ रही है। मोदी आज भोपाल में लालकृष्ण आडवाणी और शिवराज के साथ एक स्टेज से बोलेंगे। पार्टी को शक है कि रेवाड़ी रैली की तरह कहीं आवाम सिर्फ मोदी को ही सुनने की जिद न कर बैठे।

खासतौर पर मोदी के साथ आडवाणी की मौजूदगी पर पैदा होने वाले हालात से पार्टी कियादत कुछ खौफज़दा है। मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाने के फैसले से रूठ जाने वाले आडवाणी का अभी तक तो रैली में शामिल होना तय है।

इसलिए बीजेपी समेत सभी की निगाह एक साथ एक स्तेज पर आ रहे आडवाणी और मोदी पर टिकी रहेंगी। दरअसल, अब आवाम के साथ ही बीजेपी के कारकुन भी सिर्फ मोदी को सुनना चाहते हैं।

मोदी की मौजूदगी में वे दूसरे लीडरो को हूट (booing.) करने लगे हैं। रेवाड़ी रैली में लोगों के मूड को भांप कर फौज के साबिक सरबराह जनरल वीके सिंह को अपनी तकरीर जल्दी खत्म करनी पड़ी थी।

माना जा रहा है कि आइंदा इतवार को दिल्ली में मोदी की रैली में बीजेपी के सदर राजनाथ सिंह, लोकसभा में अपोजिशन की लीडर सुषमा स्वराज और राज्यसभा में अपोजिशन के लीडर अरुण जेटली के शामिल न होने की अहम वजह लोगों की सिर्फ मोदी को ही सुनने की मांग को ही माना जा रहा है।

सुषमा तो दिल्ली की वज़ीर ए आला रह चुकी हैं और जेटली दिल्ली से ही मुल्क की सियासत में आए। बहरहाल, बीजेपी के वज़ीर ए आज़म के ओहदे का उम्मीदवार ऐलान होने के बाद विधानसभा के इंतेखाबी जंग में उतरने जा रहे किसी भी रियासत में मोदी की यह पहली रैली है।

भोपाल में इंतेखाबी बिगुल बजाने के बाद मोदी आइंदा इतवार के दिन दिल्ली विधानसभा के इ‍तेखाबी महासमर के लिए भी बिगुल बजाएंगे। आडवाणी खेमा शिवराज को मोदी के सामने खड़ा करने की कोशिश करता रहा है।

खुद आडवाणी भी शिवराज के हुक्मरानी/इक्तेदार की तारीफ करते रहे हैं। शिवराज ने भी इंतेखाबी तशहीर के लिए विकास यात्रा के शुरुआती दौर में पोस्टरों से मोदी को दूर रखा था, लेकिन अब शिवराज को आखिरकार मोदी को अपने यहां बुलाना ही पड़ा।