हरम् शरीफ़ में हुजूम से गुरेज़ की तलक़ीन

सऊदी अरब के मुफ़्ती-ए-आज़म शेख़ अबदुलअज़ीज़ ऑल उल-शेख़ और दीगर सरकरदा उल्मा ने आज़मीन-ए-हज्ज को तलक़ीन की है कि वो मक्का मुअज़्ज़मा की मस्जिद उल-हराम में भारी हुजूम जमा होने ना दें बल्कि ज़रूरी अरकान-ओ-फ़राइज़ अंजाम देने के फ़ौरी बाद इस मुक़द्दस मुक़ाम से वापिस होजाएं ताकि दीगर आज़मीन को भी ख़ुशू-ओ-ख़ुज़ू के साथ वहां इबादत गुज़ारी का मौक़ा फ़राहम हो सके ।

सऊदी उल्मा ने कहाकि मक्का मुअज़्ज़मा का सारा इलाक़ा मुक़ाम हिर्म (मुक़द्दस तरीन मुक़ाम) तसव्वुर किया जाता है और इस इलाक़ा की किसी भी मस्जिद में नमाज़ अदा करने का सवाब मस्जिद उल-हराम में नमाज़ अदा करने के सवाब के मुसावी होता है।

ऑल उल-शेख़ ने रोज़नामा इलाकाज़ से कहाकि मुक़ाम हरम् की तमाम मसाजिद में अदा की जाने वाली नमाज़ों और इबादात का सवाब इस मुक़ाम से बाहर अदा की जाने वाली नमाज़ों से ज़्यादा होता है।

उन्हों ने वक़फ़ा वक़फ़ा से उमरा करने की मुख़ालिफ़त की और कहाकि इस से हुजूम के सबब दीगर मातमरीन को तकलीफ़ पहूँचती है जो मुस्लिम उल्मा की बैन-उल-अक़वामी यूनीयन के सदर शेख़ यूसुफ़ अलक़रज़ावी ने भी शेख़ अबदुलअज़ीज़ ऑल उल-शेख़ की इन तजावीज़ की ताईद की और कहाकि क़ुरआन मजीद में मस्जिद उल-हरम को मुक़द्दस काअबा से तशबीयाएं दी गई है।