हरम शरीफ़ में ख़ंजर हमले का ज़ख़्मी फ़ौजी दवाख़ाना में रूबे सेहत

मस्जिदे हराम वो मुक़द्दस मुक़ाम है जहां अगर बदतरीन दुश्मन भी पनाह ले तो वो महफ़ूज़ और मामून समझा जाता है लेकिन कुछ ऐसे बदबख़्त और फ़ातिरुल अक़ल लोग आज भी मौजूद हैं जो इस मुक़द्दस मुक़ाम की हुर्मत का कोई पास नहीं रखते।

इस नौईयत का एक वाक़िया कुछ अर्सा क़ब्ल उस वक़्त पेश आया जब एक नामालूम शख़्स ने मस्जिदे हराम में हिफ़ाज़त पर मामूर एक अहलकार पर ख़ंजर के वार कर के उसे शदीद ज़ख़्मी कर दिया गया था।

ज़ख़्मी होने वाले सेक्युरिटी अहलकार की शनाख़्त शाहर अल हतीरशी अल हिज़ली के नाम से हुई जिसे बादअज़ां मक्का मुकर्रमा के एक मिलिट्री दवाख़ाना में ईलाज के लिए दाख़िल किया गया। अल हिज़ली अब तेज़ी के साथ रूबे सेहत है।