हराम माल से ना ज़कात फ़र्ज़ है और ना हज, ख़ुलूस नीयत ज़रूरी

मौलाना मुफ़्ती ख़लील अहमद शेख़ुल जामीया निज़ामीया ने कहा है कि ज़कात और हज की बुनियादी शराइत में ये है कि वो पाक और हलाल माल से अदा किए गए हों क्यों कि हराम माल की अल्लाह के पास कोई हैसियत और क़दर नहीं है।

उन्हों ने कहा कि हज में अल्लाह ये आज़माता है कि बंदा राहे ख़ुदा में कसीर रक़म ख़र्च करना चाहता है या नहीं। माल रख कर हज पर ना जाना गुनाह है, जिस के पास माल नहीं है मगर तड़प है तो अल्लाह उस को नीयत पर सवाब देंगे।

उन्हों ने तेलंगाना स्टेट हज कमेटी के ज़ेरे एहतेमाम मस्जिद सलाह उद्दीन ख़ान मोग़लपुरा में आज़मीने हज के तर्बीयती इजतिमा से ख़िताब करते हुए ये बात कही और बताया कि हज के लिए ख़ालिस नीयत ज़रूरी है।

इस का मक़सद शोहरत हासिल करना या तिजारत करना मक़सद ना हो। उन्हों ने कहा कि हम समझते हैं कि हज से सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं लेकिन ये फ़ज़ीलत उस को है जिस का हज क़ुबूल हुआ। एहराम मुसावात का दर्स देता है और मौत, कफ़न और आख़िरत की याद दिलाता है।

हाफ़िज़ साबिर पाशाह की क़रात कलाम पाक और जनाब अबदुर्रहमान के हदिया नाअत से कार्रवाई का आग़ाज़ हुआ। जनाब अबदुर्रऊफ़ ख़ान इन्जीनियर ने कार्रवाई चलाई। इस मौक़ा पर जनाब इर्फ़ान शरीफ़ (हज कमेटी) भी मौजूद थे।